भारत की ओर से यह बयान रविवार को जलालाबाद में हुए आत्मघाती हमले के बाद आया है जिसमें हिंदु और सिख समुदाय के 19 लोगों की मौत हो गई थी। एक बस पर हुए इस हमले में सिख समुदाय के लोकप्रिय नेता अवतार सिंह खालसा की भी मौत हो गई थी। मंगलवार को शिरोमणि अकाली दल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने अफगानिस्तान के दूतावास के बाद विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का मकसद जलालाबाद में हुए हमले की निंदा करना था।
जलालाबाद में हुए हमले के बाद पूरी दुनिया में सिख समुदाय के लोगों में खासा गुस्सा है। दुनिया भर में गुरुद्ववारों में खास प्रार्थनाएं और अरदास का आयोजन हो रहा है। जलालाबाद में हुए हमले के बाद सिख समुदाय के लोग अब भारत की ओर आ रहे हैं। एक सिख विरोध प्रदर्शनकारी जो कुछ वर्षों तक काबुल में रहा, 20 वर्ष पहले भारत आया था। उसका कहना है कि अफगानिस्तान में अल्संख्यक समुदाय के लोगों की हालत बहुत ही दयनीय है। ईस्टर्न अफगानिस्तान में हुए हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ली थी। हमला उस समय हुआ जब अल्पसंख्यक समुदाय के लोग नरगरहार प्रांत में गर्वनर के घर जा रहे थे। इन लोगों को यहां पर राष्ट्रपति अशरफ घनी से मुलाकात करनी थी। लगातार बिगड़ते हालात सन् 1970 मे अफगानिस्तान में करीब 80,000 से ज्यादा सिख और हिंदु रहते थे लेकिन आज इनकी संख्या सिर्फ़ 1,000 ही रह गई है। हमले में मारे गए सिख नेता अवतार सिंह खालसा अक्टूबर में होने वाले संसदीय चुनावों में अफगानिस्तान की हिंदु और सिख समुदाय के लिए आरक्षित एकमात्र सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। जिस समय हमला हुआ वह राष्ट्रपति अशरफ घनी से मिलने जा रहे थे। राष्ट्रपति घनी तीन दिनों जलालाबाद दौर पर थे और एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने के लिए रवाना हुआ था। खालसा इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
एक सिख विरोध प्रदर्शनकारी जो कुछ वर्षों तक काबुल में रहा, 20 वर्ष पहले भारत आया था। उसका कहना है कि अफगानिस्तान में अल्संख्यक समुदाय के लोगों की हालत बहुत ही दयनीय है। ईस्टर्न अफगानिस्तान में हुए हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ली थी। हमला उस समय हुआ जब अल्पसंख्यक समुदाय के लोग नरगरहार प्रांत में गर्वनर के घर जा रहे थे। इन लोगों को यहां पर राष्ट्रपति अशरफ घनी से मुलाकात करनी थी।