वॉशिंगटन, यूएस: एच-1 बी वीजा पर पिछले लंबे समय से जारी अटकलों को खुद अमेरिका विराम देने जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने नई दिल्ली में टू प्लस टू बैठक से ठीक पहले कहा है कि एच-1 बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है। अमेरिका ने यह फैसला भारत के रुख को देखकर लिया है क्योंकि उसे लगता है कि बैठक में यह मुद्दा उठाया जा सकता है।
कयास लग रहे थे कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सितंबर में होने वाली टू प्लस टू बैठक के दौरान एच-1 बी वीजा का मुद्दा उठा सकती हैं। स्वराज ने गत माह राज्यसभा में कहा था कि हम इस मुद्दे को कई मंचों पर उठा रहे हैं और व्हाइट हाउस के साथ साथ वहां के प्रांतीय प्रशासन व सांसदों से लगातार संपर्क में हैं। अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हम जानते हैं कि भारत एच-1 बी का मुद्दा टू प्लस टू वार्ता में उठाने की तैयारी में है, लेकिन इसमें कुछ कहने को रह नहीं जाएगा क्योंकि नीति में कोई बदलाव ही नहीं होगा।
अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के कार्यकारी आदेश में अमेरिका में काम करने के लिए वीजा कार्यक्रम की बड़ी पैमाने पर समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। वीजा समीक्षा करने का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इससे अमेरिका के कर्मचारी और उन्हें मिलने वाला वेतन प्रभावित न हो।’ अधिकारी ने कहा कि एच-1 बी वीजा जारी करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसलिए मेरे लिए यह अनुमान लगाना असंभव है कि इससे क्या निकलकर आएगा या इस प्रणाली में कोई बदलाव होगा। निश्चित रूप से यह भारत के लिए महत्वपूर्ण मसला है।
मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलता
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कह चुकी हैं कि एच-1 बी वीजा नियमों में होने जा रहे बदलाव को लेकर हम छह सितंबर को नई दिल्ली में होने जा रही टू प्लस टू वार्ता के दौरान पूरी विनम्रता से उठाएंगे। इस पर अमेरिका को आशंका हुई कि कहीं यह वार्ता मूल मुद्दों से भटककर एच-1 बी वीजा पर केंद्रित न हो जाए। इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलता के रूप में लिया जा रहा है।
सख्त वीजा नियमों की थी कवायद
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आव्रजन नीति में बदलाव की घोषणा के तहत वीजा नियम सख्त करते हुए अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कामगारों के लिए वीजा सिफारिशों पर नियंत्रण लगाने की कवायद थी। ऐसा करने से विदेशियों की नौकरी के रास्ते कम हो जाते। इसके अलावा एच-4 वीजा नीति को खत्म करने की कवायद भी है जिसमें एच-1 बी वीजाधारकों के जीवनसाथी को अमेरिका में नौकरी के दरवाजे बंद होने थे।