1/ नोटबंदी के खिलाफ असंतोष का उभार
चुनावी शोर से राजस्थान मध्यप्रदेश छतीसगढ मिजोरम और तेलंगाना की चहल-पहल परवान पर है। तमाम लोकल और नेशनल मुद्दों की बयानबाजी से चुनावी समर संचालित हो रहा है। वायदों आश्वासनों और दावों का आसमानी तूफानी दौर है। और इसी दौर में जनता दबी जुबान से कुछ मुद्दों पर असहज असंतुष्ट और नाराजगी भी जता रही है। खासकर नोटबंदी की मार से जनाक्रोश है। नोटबंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव गरीबों ग्रामीणों कम आय वाले निरक्षर असहाय परिवारों की गाढ़ी कमाई डूब गयी। हालिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि नोटबंदी से मिला कुछ नहीं भले ही नये-नये नोटों को छापने में भले ही 26 हजार करोड़ रुपये लग गये। और लंबी कतार में खड़े और नोटबंदी के सदमें से करीब दो सौ लोगों की मौत हो गयी। सरकार भले ही इस पर खामोश है मगर नोटबंदी की आह क्या सता के लिए वाह साबित होगी?
2/ अकबर पर रार – तकरार
पत्रकारिता से चलकर राजनीति के शरणागत हुए भूत ( पूर्व ) पत्रकार संपादक और मंत्री को लेकर कमल में काफी तकरार चल रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री इस मामले में उदारवादी मौन धारण कर चुके हैं। इसके पीछे बुद्धिजीवी मुस्लिमों के समर्थन और साथ की उम्मीद है जबकि पार्टी के भीतर मीटू शहीदी मंत्रीजी को पावरलेस करने की मंशा है। यानी प्रधानमंत्रियों के काम और कार्यकाल को चित्रित करने के लिए गठित म्यूजियम के उपाध्यक्ष पद से भी हटाने की मांग परवान पर है। वैसे पीएम के विवादास्पद कार्यों नीतियों फैसलों को भी प्रदर्शित करने के विचार को लेकर भी प्रधानमंत्री दफ्तर अभी सहमत नहीं हैं!
3/ आप का नोट और वोट अभियान
इसको कहते हैं समय से आगे की सोच। एक तरफ विधानसभा चुनाव में ज्यादातर नेताओं प्रत्याशियों और पार्टियों को जनाधार बचाकर सता में वापसी और जीतने का बुखार है। येन केन प्रकारेण शाम दाम दंड भेद नीति से चुनावी समर में विजय प्राप्त करने की जुगत लगी है। तो आप अपने कथित खाली खजाने को भरने की चेष्टा पर काम कर रही है। दिल्ली में चुनाव भले ही अभी देर है। किसी भी पार्टी की नजर अभी कम से कम दो माह तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ओर नहीं है तो पूरी तरह सजग सतर्क और नयेपन के साथ नोट और वोट मांगने की मुहिम में लग गयी है। इसी बहाने आप वोटरों के घर जाकर संवाद कायम करने में लगी है। मदद के नाम पर एक एक रूपये के सहयोग को भी सिर नवाकर ले रही है। इसी अभियान में आप की सदस्यता अभियान को भी शानदार ढंग से परवान चढ़ाया जा रहा है। आप युवा मोर्चा के लिए भी नवयुवकों को छांटा जा रहा है। भले ही आप के नोट और वोट अभियान को शोर शराबे से दूर रखा गया हो पर एक बार फिर दिल्ली के महाभारत के लिए आप सेना खुद को तैयार करने में लग गयी है। और यह खबर कांग्रेस भाजपा के ब्लडप्रेशर बढाने के लिए काफी है