अनामी शरण बबल
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी ) ने दक्षिणी रिज में वन भूमि अतिक्रमण संबंधी अलग अलग आंकड़े देने पर सख्त रवैया अपनाया है। दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि वह तमाशा खड़ा करना नहीं चाहता है। उसे इस मामले में प्रामाणिक जानकारी दी जाए ताकि रिज इलाके कई सही तस्वीर सामने आए। न्यायमूर्ति रघुवेंद्र एस राठौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर भी हैरानी प्रकट की है कि राजस्व विभाग हर बार अलग अलग आंकड़े पेश कर रहा है और यह स्पष्ट नहीं है कि रिज क्षेत्र में सीमांकन के लिए कितना और समय चाहिए।
एनजीटी पीठ ने कहा, ‘जो काम किया जाना शेष है, हम उस पर प्रामाणिक जानकारी चाहते हैं। हमें बताया जाए कि कितना समय और चाहिए। हमें कागजों में आंकड़ों का फर्जी तमाशा नहीं चाहिए। ऐसा ही वन विभाग के साथ है।’ राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने राजस्व विभाग और वन अधिकारियों को एक महीने में यह जानकारी मुहैया कराने को कहा कि अतिक्रमण संबंधी वास्तविक स्थिति क्या है और रिज सीमांकन के लिए कितने समय की आवश्यकता है।
उसने चेतावनी दी कि यदि एक मार्च से पहले आवश्यक काम नहीं किया जाता है तो काम पूरा होने तक इस कार्य में लगे सभी कर्मचारियों अधिकारियों पर 5000 रुपये प्रति दिन का जुर्माना लगाया जाएगा, क्योंकि यह मामला 2013 से लंबित है। इससे पहले अधिकरण ने वन विभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के राजस्व सचिव को यह सूचित करने के लिए तलब किया था कि यहां दक्षिणी रिज में वन भूमि के सीमांकन में देरी के क्या कारण है। यदि इस मामले में देरी का मामला चलता रहा तो एनजीटी आप सरकार के मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराकर कोर्ट में तलब कर सकती है।।।