नयी दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा आतंकी आत्मघाती हमले के बाद दिल्ली लाहौर सदा ए सरहद बस सेवा पर भी ग्रहण लग सकता एकाएक आने जाने वाले यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट के बाद इस बस सेवा के औचित्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ते तनाव और युद्धोंन्माद की हालत में कोई कुछ भी जानकारी देने और बोल नहीं पा रहा है। मगर यात्रियों की कमी के चलते कुछ दिनों के लिए ही सही संभव है कि इस बस सेवा को रोक दिया जाए।
पुलवामा आतंकी आत्मघाती हमले के बाद दोनों देशों की यात्रा करने वाले सवारियों की ता जंगदाद पांच सवारी से भी कम हो गयी है। इस हमले के अगले दिन पाक से केवल एक सवारी ही भारत आया, जबकि भारत की ओर से भी यात्रा टिकट निरस्त नहीं कराने के बावजूद पाकिस्तान जाने वाले दो एक भारतीय ही लाहौर बस में सवार हुए। शनिवार को पाकिस्तान से बस में सिर्फ एक पुरुष यात्री भारत आया। पुलवामाा में हुए आत्मघाती हमले के बाद दोनों देशों में तनाव काफी बढ़ा है। इसकी वजह से 14 फरवरी के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही सदा-ए-सरहद बस सेवा में यात्रियों की संख्या में तेजी से कम हुई है। यही स्थिति पाकिस्तान जाने वाले भारतीय यात्रियाें की भी है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली से लाहौर के बीच 80 सीटों वाली इस बस में सामान्य दिनों में रोजाना 30-35 यात्री ही सफर करते हैं। मगर ज्यादातर बार सीटें फुल होती है। मालूम हो कि बस में यात्रियों की सुरक्षा के लिए बस के आगे और पीछे सुरक्षा प्रबंधन के लिए पुलिस वाहन सिक्योरिटी देती है।दिल्ली से लेकर अटारी बार्डर तक भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की बसों को रास्ते में पड़ने वाले सभी जिला प्रशासन द्वारा अपने जिला के सीमा आरंभ से लेकर अंत तक एक-एक जिप्सी चलती थी, मगर पुलवामा आतंकी संहार के बाद बसों की सुरक्षा अब दो गुनी कर दी गयी है।
आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर है। ज्यादातर लोगों संगठनों द्वारा भी इस बस सेवा को बंद करने की मांग उठने लगी है। भारत-पाकिस्तान बस सेवा ‘सदा-ए-सरहद’ रद्द करने की मांग को लेकर तमाम दक्षिणपंथी संगठनों ने प्रदर्शन करना आरंभ कर किया है। यूनाइटेड हिन्दू फ्रंट ने दिल्ली– लाहौर बस को तुरंत बंद करने की मांग की है। शिव सेना (हिंदुस्तान) के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग एक पर शुगर मिल चौक पर उस समय प्रदर्शन किया जब दिल्ली-लाहौर पाकिस्तान पर्यटन विकास निगम (पीटीडीसी) की बस इस मार्ग से गुजर रही थी। इसके मद्देनजर हरियाणा और पंजाब के संबंधित सभी जिला प्रशासन द्वारा बस को सुरक्षित निकालने के लिए और अधिक चाक चौबंद व्यवस्था करनी पड़ रही है।
गौरतलब हो कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में कारगिल युद्ध से पहले 1999 में इस बस सेवा को दोनों देशों के बीच यात्रियों के लिए समर्पित किया गया था। प्रधानमंत्री बाजपेयी इस बस में सवार होकर खुद गए थे। पिछले बीस सालों के दौरान यह सेवा तमाम हालातो के बाद भी जारी रही। मगक इसबार पुलवामा आतंकी आत्मघाती संहार के बाद देश का पूरा मिजाज बदला हुआ है। दोनों देशों के बीच जुबानी जंग जारी है। रोजाना तनाव गहरा रहा है। चुनावी हालात में क्या अंजाम होगा इस पर देश आशंकित होकर भी सरकार से सख्ती की अपेक्षा कर रहा है। जिससे सदा-ए-सरहद बस सेवा के अंजाम पर भी अनिश्चितता गहरा रहा है। सबसे दुखद प्रसंग तो यह है कि जिन भारतीय और पाकिस्तानी नागरिकों ने इसका दिल से जोरदार स्वागत किया था आज बदले हालात में वे ही लोग फिलहाल इस बस से किनारा कर रहे हैं।।
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