रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों और सरकार के बीच जंग जारी है। पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए नासूर बन चुके नक्सलवाद का दंश अब सबसे ज्यादा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है. आज इन्हीं की वजह से अंदरूनी इलाके के लोगों को पलायन करना पड़ रहा है। हालांकि पलायन कर चुके लोग फिर वापस आना भी चाहते हैं,मगर नक्सलियों के भयावह चेह े और शोषण के डर से हजारों आदिवासियों के लिए यह संभव नहीं हो पा रहा है।सभी आज भी चाहते हैं कि बस्तर में नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो। पहले सा अन्न चैन मस्ती और प्यार स्नेह का माहौल कायम हो।
उल्लेखनीय है कि नक्सलवाद का सबसे बड़ा असर संवेदनशील एरिया के ग्रामीणों पर पड़ा है, जिसमें अंदरूनी इलाके के ग्रामीण दो हिस्सों में पिसते रहें. ऐसे में अब आखिरकार अपना सब कुछ छोड़कर ग्रामीणों ने पड़ोसी राज्य में पनाह ले ली है. इसी क्रम में आज मुख्यमंत्री के बुलावे पर इस समस्याओं पर सीएम से चर्चा करने के लिए साइकिल से निकले 300 से ज्यादा युवाओं की टोली निकली है। इसी रैलीनुमा दस्ते में शामिल पंचम सुरेश का कहना है कि वो कभी सुकमा जिले के कोंटा में रहता था, लेकिन नक्सलवाद के कारण उसे अपना गांव छोड़ना पड़ा है। साइकिल रैली में शरीक युवकों ने कहा कि उनके साथ रहने में कोई दिक्कत नही है,पर उनकी गुलामी और उनके चलते पुलिस उत्पीड़न के साथ रहना कठिन है। सरकार को उनके लिए हिंसा छोड़ पुनर्वास पर जोर देना होगा तभी सैकड़ों गांवों के लोग अपनी धरती जमीन जंगल के बीच रह सकते हैं। ।।