अनामी शरण बबल
ताजमहल के यलो जोन की सुरक्षा में सेंध, पूर्वी गेट के पास हुई यह वारदात की स्तरीय जांच आरंभ
नयी दिल्ली/ आगरा। अंतरराष्ट्रीय प्रेम स्मारक ताजमहल खतरे में है। भारत पाकिस्तान सीमा पर भारी गोलीबारी और तनाव को देखते हुए ताज की सुरक्षा के सारे प्रबंध कर लिए गए थे। युद्ध जैसे हालात के मद्देनजर इसकी कई स्तरीय रक्षा प्रबंधन का प्रावधान है,मगर ताजमहल की यलो जोन की सुरक्षा के प्रबंधन को लागू कर दिए जाने के बावजूद चोरों ने ताजमहल की दीवारों में सेंध लगा दी। ताजमहल के पूर्वी गेट के पास एक मनी एक्सचेंजर के ताले तोड़कर उसमें रखे करीब 65 हजार रुपये पर हाथ साफ कर दिए।। इस चोरी की घटना से ताज की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।। हालांकि, ताज सुरक्षा अधिकारी ने बताया है कि चोर की फोटो सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में कैद हो गए हैं। इनका दावा है कि चोर गिरोह को पकड़ लिया जाएगा। फिलहाल चोरी की वारदात के बाद सुरक्षा का फिर से समीक्षा की जा रही है और सुरक्षा को टाईट किया जा रहा है।
ताजमहल के पूर्वी गेट के पास आसपास में हीं रहने वाले राजेश गुप्ता की मनी एक्सचेंज है। यहां से पूर्वी गेट तकरीबन 120 मीटर की दूरी पर है। वहीं 50 मीटर की दूरी पर बैरियर लगा है। बुधवार रात तकरीबन दो बजे चार चोर आए। उन्होंने पहले दुकान के बाहर शटर के ताले काट दिए। जिसके बाद दुकान के भीतर जाकर सेफ की रकम को साफ कर नौ दो ग्यारह हो गए। यह घटना करीब 27 मिनट की रही। जब दुकान गेट को तोड़कर अंदर गया और शटर गिराकर चारो चोर अलग अलग तरीके से मौके पर से भाग गए। सुबह होने पर ही दुकान में चोरी की खबर जगजाहिर हुई। इससे पुलिस की निष्क्रियता और ताज की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों और उनके रखरखाव और पहरे के साथ रात में चक्कर लगाने की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि ताज की बहुतायत बहुकोणीय सुरक्षा के कई दायरे हैं। पूरे परिसर में 250 से अधिक सीसीटीवी लगे हैं, जिसका 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाती है। इसके बावजूद ताजमहल परिसर में चोरी की यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है, मगर काफी सालों के बाद इस तरह सुरक्षा कवच को ठेंगा दिखाया गया है। कारगिल युद्ध के समय 1998-99 में भी ताजमहल की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी थीं, मगर 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय हालात और सुरक्षा के आधुनिकीकरण प्रयास संभव नहीं थे, तो उस दौरान पहली बार ताजमहल के उपर काले कपड़े का नकाब बनाकर करीब एक माह तक बतौर कवच सुरक्षा प्रदान किया गया था। इस घटना के 48 सालों के बाद सुरक्षा के दायरे को अलर्ट करने के बाद ताजमहल परिसर में सेंध और चोरी से सुरक्षा की पोल खुल गयी है। दिल्ली से पुरातात्विक विभाग ऐतिहासिक स्थल की जांच के लिए आगरा रवाना हो चुकी है। देखना है कि आगरा प्रशासन और ताजगंज थाना क्षेत्र की इस चोरी की पटकथा में किसकी- किसकी गर्दन नपती है? ।। hi