अनामी शरण बबल
नयी दिल्ली/ श्री नगर । जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा लगातार कसता चला जा रहा है। अलगावादी नेताओं की सुरक्षा पहले ही वापस ले ली गयी है। अब जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के मुखिया यासीन मलिक के ऊपर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत केस दर्ज हुआ है। जेकेएलएफ के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी। प्रवक्ता ने कहा, ‘मलिक के ऊपर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ है।’
पुलिस और खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक जेकेएलएफ प्रवक्ता ने कहा कि हम उनकी ‘गिरफ्तारी’ और एक राजनीतिक व्यक्ति पर पीएसए लगाने की कड़ी निंदा करते हैं। बता दें कि मलिक को गत 22 फरवरी को ही हिरासत में लिया गया और इसके बाद उन्हें कोठीबाग पुलिस स्टेशन में रखा गया। इसके पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गत 26 फरवरी को अलगाववादी नेता के आवास पर छापे मारे।
पुलवामा में गत 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 40 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने 18 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में या तो कटौती कर दी या उनकी सुरक्षा हटा ली थी। सरकार की इस कार्रवाई को प्रदेश में बदले की भावना की तरह देखा जा रहा है। कभी भाजपा के साथ कदमताल कर मुख्यमंत्री बनी महबूबा मुफ्ती भी निंदा कर रही है। अलगाववादी नेताओं के समर्थन में महबूबा मुफ्ती भी सड़कों पर उतर गयी है। उल्लेखनीय है कि सरकार की नज़र बहुतों पर है। खुफिया रिपोर्ट की रडार पर अभी करीब दो दर्जन लोग हैं। जिनके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई कर सकती हैं। लगता है कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के रह रहे सभी इंडियन लिबासी पाकिस्तानी एजेंटों को नेस्तनाबूद करके आतंकवादियों की कमर तोडने का संकल्प पर काम कर रही हैं।।।