अरूणाचल प्रदेश के बाद त्रिपुरा में कमल पर गहराता संकट, भाजपा में बगावत, कांग्रेस में शामिल हुए तीन वरिष्ठ नेता
अनामी शरण बबल
अगरतला। त्रिपुरा में भी भाजपा में बगावत का दौर कायम है। अरूणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में दो मंत्री और 12 विधायकों को भाजपा छोड़ने के 24 घंटे के अंदर ही अब त्रिपुरा में भाजपा संकट में है। राज्य में बीजेपी को तब करारा झटका लगा है, जब त्रिपुरा बीजेपी के उपाध्यक्ष सुबल भौमिक और दो अन्य वरिष्ठ नेता बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। भाजपा छोड़ने पर सुबल भौमिक ने कहा कि पिछले पांच सालों से मैं बीजेपी में था। जबकि इससे पहले पिछले 35 साल तक मैं कांग्रेस में ही रहा। यह मेरे लिए बगावत या भाजपा को छोड़ने की बजाय अपने पुराने घर में वापसी’ जैसा ही है।
भौमिक के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए अन्य नेता में पूर्व मंत्री प्रकाश दास और देबाशीष सेन हैं। त्रिपुरा कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन और एआईसीसी सचिव भूपेन बोरा ने पार्टी मुख्यालय में मीडिया के सम्मुख तीनों नेताओं का पार्टी में स्वागत किया। भौमिक 2015 में बीजेपी में शामिल हुए थे, जबकि दास और सेन 2017 में क्रमश: कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से बीजेपी में शामिल हुए थे। केंद्र में एनडीए की मोदी सरकार के बावजूद त्रिपुरा में भाजपा की हालत पतली हुई है। एक सप्ताह के भीतर अरूणाचल प्रदेश के बाद त्रिपुरा में पार्टी के भीतर बगावत और पार्टी छोड़कर कहीं और शिफ्ट होने की इस घटना से भाजपा आलाकमान को सोचना होगा कि आखिर दिल्ली से दूर दराज के राज्यों में बगावत और पार्टी छोड़कर कहीं और जाने की हालत क्यों बन रही है। भाजपा सुप्रीमो अमित शाह द्वारा हिंदी बेल्ट को ज्यादा तरजीह देने और पूर्वोत्तर राज्यों की उपेक्षा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बातों का जादू कहीं उतार पर तो नहीं है ? या कि अपनी अनदेखी से एकाएक भाजपा शासित राज्यों में उबाल बढने लगा है ? ।।