कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सरकारी कंपनियों को आंवटित खनन पट्टों (लीज) के निर्बाध नवीकरण की ओर एक अहम कदम उठाते हुए खान मंत्रालय ने ‘सरकारी कंपनियों द्वारा खनिज (खनन) नियम 2015’ में संशोधन किया है। इसके तहत नियम 3, उप-नियम (2) में और नियम 4, उप-नियम (3) में ‘किया जा सकता है, कारण बताने होंगे’ के स्थान पर ‘‘किया जाएगा, कारण बताने होंगे’ को प्रतिस्थापित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि सरकारी कंपनियों के लिए मंजूर खनिजों हेतु सभी खनन पट्टों के लिए राज्य सरकार इस संबंध में सरकारी कंपनी अथवा निगम से खनन पट्टे की समाप्ति से कम से कम 12 माह पहले आवेदन प्राप्त होने पर खनन पट्टे की अवधि को एक ही बार में 20 वर्षों तक की और अवधि के लिए बढ़ा देगी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संसदीय कार्य, कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। पदभार संभालने के तुरंत बाद श्री प्रधान ने भारतीय इस्पात क्षेत्र के लिए कच्चे माल की सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता के साथ उठाया है।
खान एवं खनिज (विकास व नियमन) अधिनियम, 1957 (संक्षेप में एमएमडीआर अधिनियम, 1957) की धारा 8ए (6) के प्रावधान के अनुसार लौह अयस्क की 31 कार्यरत खानों की लीज 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो रही है। खान मंत्रालय द्वारा मंजूर किए गए हालिया आदेश भारतीय इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मार्च, 2020 में संभावित व्यवधान से उत्पन्न स्थिति के कारगर प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे कच्चे माल की कीमतों में स्थिरता भी सुनिश्चित होगी और इसका सकारात्मक असर द्वितीयक इस्पात क्षेत्र पर पड़ेगा।