झटका पे झटका,अब कहां जाएंगी ममता?

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[सुनील अग्रवाल]
भागलपुर, (बिहार)। ऐसा प्रतीत होता है कि बंगाल में मुसीबतों का हीं दूसरा नाम है ममता। एक मुसीबत से छुटकारा मिलता नहीं की दूसरा उसके समक्ष सीना तानें खड़ा हो जाता है। शायद इन दोनों का आपस में चोली-दामन का संबंध है। जहां बंगाल अभी चुनावी सियासत की तपिश में सुलग रहा है वहीं एक घोटाले की आंच में ममता दीदी बुरी तरह घिरती जा रही हैं।
मामला शारदा चिट फंड कंपनी से जुड़ा है, जो बंगाल के गरीब जनता की गाढ़ी कमाई समेट कर रातों-रात गायब हो जाता है और वहां की सरकार खामोश बनी रहती है। हालांकि इस घोटाले की आंच ममता के घरों तक दस्तक दे चुकी है। तभी तो एक पुलिस कमिश्नर को बचाने वास्ते उसने पूरे बंगाल में बड़ा बवंडर खड़ा करते हुए धरना पर बैठ गई थी। इससे यह जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं कुछ तो जरूर गड़बड़ है।
अब इसी कड़ी में एक और मामला सामने आया है जो इससे भी बड़ा अपराध है। वो यह कि इसी चिटफंड कंपनी से जुड़े एक टीवी चैनल तारा टीवी के कर्मचारियों को विगत 23 माह तक 27 लाख रुपए के हिसाब से वेतन का भुगतान मुख्यमंत्री के आकस्मिक आपदा कोष से किया गया,जो किसी जघन्य अपराध से कब नहीं। कारण उक्त कोष पर सीधे तौर पर प्रदेश के जनता का अधिकार बनता है, क्योंकि प्राकृतिक विपदाओं के समय उक्त कोष की धनराशि से प्रदेश की जनता को उबारा जाता है।मगर ममता ने प्रदेश के जनता की गाढ़ी कमाई को एक चोर व भगोड़े कम्पनी के आवभगत में यूं हीं जाया कर दिया।यह अपराध नहीं तो और क्या है।
मालूम हो कि उक्त चिटफंड कंपनी के फरार हो जाने के उपरांत बंगाल की टीएमसी सरकार ने लोगों के हमदर्द बनने का स्वांग करते हुए जांच के नाम पर एसआईटी का गठन किया और इस जांच टीम का सर्वेसर्वा ममता के चहेते विधाननगर के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को बनाया गया, ताकि इस पूरे प्रकरण पर पर्दा डाला जा सके। हालांकि लोगों के पूरजोर मांग पर बंगाल सरकार को बाध्य होकर मामले की जांच सीबीआई के सुपूर्द करना पड़ा था और उसी सीबीआई ने जब पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर सवाल उठाते हुए उसे गिरफ्तार करने का प्रयास किया तो ममता उसके समर्थन में धरने पर बैठ गई। अब सीबीआई ने इस बात को उजागर किया है कि उक्त पुलिस कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट को दबाने और इस मामले से जुड़े ममता बनर्जी की पार्टी के लोगों को बचाने का काम किया है। सीबीआई का मानना है कि इस पूरे मामले पर से पर्दा उठाने वास्ते राजीव कुमार की गिरफ्तारी नितांत आवश्यक है क्योंकि उसने मामले से जुड़े कई अहम दस्तावेज नष्ट कर दिए हैं। ऐसे में घटना से जुड़े तार को एकसूत्र में पिरोने के लिए राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है।
मालूम हो कि फिलवक्त राजीव कुमार जमानत पर हैं। सवाल यह उठता है कि अब ममता दीदी अपने इस चहेते पुलिस कमिश्नर को कैसे बचा पाएगी, जबकि यह मामला न्यायालय में है। सवाल यह भी अहम है कि आपदा कोष की राशि को ममता कैसे किसी भगोड़े कम्पनी के कर्मचारियों पर लुटा सकती है। बहरहाल बंगाल की जनता चुनाव में ममता दीदी के कारनामों का हिसाब जरूर मांगेगी और उसे देना भी पड़ेगा।

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