*कुमार राकेश
किसान आन्दोलन के नाम पर 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में जो हुआ,उसकी जितनी निन्दा की जाये,वो कम है.देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ,जब किसी आन्दोलन के नाम पर देश के शौर्य स्थल लाल किला पर देश का अपमान किया गया.जहाँ देश के सभी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय तिरंगा फहराते रहे हैं ,वहां पर एक ऐसा झंडा फहराने की कोशिश की गयी.जिससे देश का सर शर्म से झुक गया है .इसके लिए किसान आन्दोलन के सभी नेता जिम्मेदार है .उन सभी 40 किसान नेताओ को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए ,जिनके समर्थको ने भारत के आन.बान,और शान में बट्टा लगवाया.एक ऐसा दृश्य जिसे पूरे विश्व ने देखा.आज़ाद भारत में किसान आन्दोलन के नाम पर लोकतंत्र के साथ एक ऐसा भद्दा मज़ाक ,जिसके लिए उन सभी नेताओ को देश कभी माफ़ नहीं करेगा.
उससे देश में मर्यादायें टूटी,किसानो के वादे टूटे और पुलिस प्रशासन को किसान नेताओ द्वारा दिया गया विश्वास टुटा.किसान कल्याण के नाम पर एक ऐसा जमावड़ा जो किसान के लिए कम ,देश द्रोह के लिए ज्यादा जाना जायेगा.
इस हादसे ने फ़रवरी 2020 के दिल्ली दंगों की याद दिला दी,जब पूरा देश अमेरिका के राष्ट्रपति का स्वागत में व्यस्त था,दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के कुछ नेता अपने समर्थको के साथ दिल्ली में दंगा करवाने में मशरूफ थे.समय का फर्क तब भी था ,यो फर्क आज भी था .दोनों घटनाओ में समय की साजिश एक जैसी दिखती है .किसान समर्थक दंगाईयों ने किसी भी अनुशासन व नियम को नहीं माना.किसान नेताओ को 10 बजे सुबह के बाद का समय दिया गया था.क्योकि उस वक़्त के पहले इंडिया गेट पर राष्ट्रपति श्री कोविंद को राष्ट्रीय ध्वज फहराने था.
ऐसा ही एक हंगामा 6 जनवरी को अमेरिका में ट्रम्प समर्थको ने भी वहां के संसद पर किया था, में पर ये हमारा भारत है.अनेकता में एकता का अनूठा उदाहरण.कोई कुछ भी कर ले .ये देश हमारा जीवंत था,है व सदैव रहेगा.ये देश है भगत सिंह का ,चन्द्रशेखर आज़ाद का ,अशफाक उल्लाह का,राज गुरु का ,राम प्रसाद बिस्मिल का.सुभाष चन्द्र बोस का ,अहिंसा की वकालत करने वाले महात्मा गाँधी का .न की ऐसे देश द्रोहियों का .न ही किसान के नाम पर राजनीति करने वाले बिचौलियों का .न उन एजेंटो का.दलालों का .गौरवशाली सिख धर्म को बदनाम करने वाले कुछ गुंडों का .कांग्रेस व वाम दलों के उन देश द्रोही गुंडों का. देश उन सभी को कभी माफ़ नहीं करेगा.चाहे कोई कुछ भी दावा कर ले या ये किसान नेता उन देश विरोधी हरकतों से स्वयं का पल्ला झाड ले.लेकिन अब ये साफ़ हो गया है कि ये किसान के लिए आन्दोलन नहीं,किसानो के नाम पर देश को तोड़ने का ,देश द्रोहियों का आन्दोलन है.
हमें समझना होगा कि किसान आंदोलन के ये छद्म क्रांतिकारी गणतंत्र दिवस पर ट्रेक्टर पैरेड से क्या साबित करना चाहते थे? वो क्या चाहते थे प्रशासन से ? सरकार से ? उनकी छुपी मंशा अब तो जग ज़ाहिर हो गयी कि वे क्या चाहते थे.वे चाहते थे देश को बदनाम करना .प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी सरकार की छवि को धूमिल करना.मोदी सरकार को किसान विरोधी साबित करना .लेकिन आज वो उनका सब दाँव उल्टा पड़ गया.आज की उन सभी घटनाओ से ये साबित कर दिया है कि उन सभी नेताओ का उद्देश्य किसानो की भलाई नहीं है ,बल्कि ये राज सत्ता प्राप्ति के लिए रचा गया एक कुटिल व रक्त रंजित खेल है ,जो मोदी सरकार की सूझबूझ से टल गया,नहीं तो ये एक बहुत बड़ा नरसंहार साबित होता.
इस ट्रेक्टर रैली की कहानी कुछ इस प्रकार की है . तीन दिन पहले दिल्ली पुलिस प्रशासन और उन तमाम किसान नेताओ के साथ 37 बिन्दुओ पर एक सहमति पत्र तैयार किया गया था.जिस पर किसान यूनियन के नेताओ ने दिल्ली पुलिस से वादा किया था कि गणतंत्र दिवस के इस मौके पर वे सब शांति पूर्ण ढंग से एक ट्रेक्टर मार्च निकालेंगे.पुलिस व सरकार ने किसान नेताओ पर भरोसा किया.सबको अनुमति दी गयी.एक मार्ग तय किया गया.एक ट्रेक्टर पर 3-4 लोगो की अनुमति दी गयी .समय भी सुनश्चित किया गया.परन्तु उन किसान नेताओ के समर्थको ने सभी सहमत मसलो पर कोई अमल नहीं किया और देश की भावनाओ के खिलाफ वे सारे काम किये ,जो कभी गुलाम भारत में अंग्रेजो व मुगलों ने किये थे.उन सभी निहंगो व सिख नेताओ,युवाओ ने वाहे गुरु की आत्मा को दुखी किया.आज अपने गुरु गोविद सिंह जी की आत्मा कराह रही होगी कि क्या ऐसे नंगो व देश द्रोहियों की रक्षा के लिए उन्होंने अपने तीनो पुत्रो का बलिदान किया था.कौन हैं वे लोग? कौन थे वे लोग ,जिन्होंने आज भारत माता को अपने पैरों से रौंद डाला?
भारत के इतिहास में भी ये के पहली घटना होगी इन हज़ारो उपद्रवियों द्वारा कई सरकारी संपत्तियों के नुक्सान,तोड़ फोड़ व फसाद के बावजूद किसी भी किसान व उनके भेष में दंगाइयों को चोट नहीं पहुंची .सिवाय एक तथाकथित किसान के ,जिसे उनके लोगो ने जान से मारने की असफल कोशिश की.जिसे पुलिस वाले ने ही किसी प्रकार बचाया,जबकि इस हंगामे व दंगे में 100 से ज्यादा पुलिस वाले घायल हुए हैं जिसमे कुछ अस्पताल में तो कुछ ट्रामा सेंटर में भर्ती किये गए हैं .
शायद पहली बार पुलिस प्रशासन अपनी काबिलियत,सूझ-बूझ व असीम धैर्य के लिए बधाई का पात्र हैं. हिंसा के लिए पुलिस को बार बार उकसाने के बाद भी सबने शांति बनाये रखा.शायद उन दंगाईयों ने उसे पुलिस की कमजोरी समझ लिया.क्या किसान ऐसे होते है ? क्या वे सब किसान हैं ? क्या दिल्ली के सभी सीमाओ पर धरना पर बैठे ज्यादातर लोग किसान है ? मेरे विचार से सरकार व गैर सरकारी स्तर पर इसका पूरा विवरण जमा करना चाहिए,जिससे देश के सामने को पूरा सच सामने आ सके.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी हिंसा की निन्दा की,लेकिन लालकिला पर ही देश के अपमान के लिए कुछ भी नहीं कहा.राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के स्वयम्भू अध्यक्ष शरद पवार ने सरकार की निन्दा की लेकिन उन देश द्रोहियों की नहीं.किसान नेताओ ने तो उन उपद्रवियों से स्वयं को अलग कर लिया है .तो क्या वे इस देश द्रोह की जिम्मेदारियों से मुक्त हो जायेंगे,कैसे नेता है ये लोग ,जिनके समर्थक उनके नियत्रण में नहीं ?
मेरे विचार से भारत में जब से नरेन्द्र भाई मोदी प्रधानमंत्री बने है ,कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों की नींद हराम है.वो परेशान हैं .वे बैचेन है .पिछले 6 वर्षो में जितने उपक्रम व उपद्रव किये ,वो सब जग ज़ाहिर हैं.कभी शाहीन बाग़ के नाम पर देश को अस्थिर करने की साज़िश रची जाती है तो कभी किसान आन्दोलन के नाम पर .वैसे सभी मामलो में विपक्ष बाद में औंधे मुंह गिरा है.लगता है इस बार भी वैसा ही होगा,जबकि मोदी सरकार किसान आन्दोलन को समाप्त करवाए जाने के लिए किसानो के कई मांगो पर चिंतन मनन कर रही है.कई मसलो पर किसान नेताओ से सहमति भी बनी है .फिर भी किसान नेता झुकने को तैयार नहीं दीखते ,इससे उनकी छिपी मंशा कुछ अलग लगती है ,जिसकी बानगी 26 जनवरी को दिल्ली की सडको पर देखने को मिली .
मेरी अपील है उन सभी किसान नेताओ से ,उन सभी दोषियों को सरकार के सामने पेश करे और उन सभी के खिलाफ देश द्रोह का मुकदमा चलवाए ,नहीं तो देश का सचमुच अन्नदाता कहा जाने वाला किसान समाज,जो आज भी अपने अपने गांवों में बैठकर खेती में जुटा हुआ है,वो कभी इन देश द्रोहियों को माफ़ नहीं करेगा.सिर्फ पल्ला झाड़ने से अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो जायेंगे माकपा नेता हन्नान मुल्ला साहेब..जाग जाये.ये देश बड़ा ही सम्वेदनशील है व सजग है.अब और झूठ बर्दाश्त नहीं.
विपक्षी दलों के नेताओ के साथ किसान युनियन के कई नेता गण पिछले दो महीनो से दिल्ली के कई सीमाओं पर धरना डाले हुए हैं.उनमे से ज्यादातर पंजाब व हरियाणा से है .जबकि कहानी पूरे देश की कही जा रही है . आशा है मोदी सरकार व उनके मंत्री गण जल्द से जल्द उन सच्चे किसानो को समस्याओ से मुक्त कर देश को भी गौरवशाली बनाने में एक अहम् भूमिका अदा करेंगे.
*कुमार राकेश
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