समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27फरवरी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से वित्तीय सेवाओं से संबंधित बजट प्रावधानों को कारगर तरीके से लागू करने के बारे में वेबिनार को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्रीय बजट में निजी क्षेत्र की भागीदारी का विस्तार करने और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को मजबूत बनाने का रोड मैप दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश के वित्तीय क्षेत्र के बारे में सरकार का विजन बहुत स्पष्ट है। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता जमाकर्ताओं तथा निवेशकों का विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी है। बैंकिंग तथा गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के पुराने तरीके और पुरानी प्रणालियां बदली जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 10-12 वर्ष पहले आक्रामक तरीके से ऋण देकर बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया। देश को गैर-पारदर्शी ऋण संस्कृति से मुक्त करने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए गए हैं। अब एनपीए को छुपाकर रखने के बदले एक दिन के एनपीए की रिपोर्ट करना भी अनिवार्य है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार व्यवसाय की अनिश्चितता को समझती है और प्रत्येक व्यवसाय निर्णय को गलत इरादे से रेखांकित नहीं किया जाता। ऐसी स्थिति में सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह सचेत रूप से लिए गए व्यावसायिक निर्णयों के साथ खड़ी हो। हम यह कर रहे हैं और ऐसा करते रहेंगे। इन्सॉलवेंसी तथा बैंकरप्सी कोड जैसी व्यवस्था ऋणदाताओं तथा ऋण लेने वालों को आश्वस्त कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने सरकार की प्राथमिकताओं को बताया। इनमें सामान्य नागरिक की आय सुरक्षा, गरीबों को कारगर तरीके से सरकारी लाभों की डिलीवरी और देश के विकास के लिए अवसंरचना संबंधी निवेश को प्रोत्साहन शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में किए गए ये सभी वित्तीय सुधार इन प्राथमिकताओं को दिखाते हैं। इस वर्ष के केंद्रीय बजट में भारत के वित्तीय क्षेत्र को मजबूत बनाने के विजन को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि हाल में घोषित नई सार्वजनिक क्षेत्र नीति में वित्तीय क्षेत्र भी शामिल है। हमारी अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और बीमा की संभावनाएं काफी अधिक हैं। इन संभावनाओं को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का निजीकरण, बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति एलआईसी के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक इश्यू की सूचीबद्धता सहित अनेक कदमों की घोषणा की गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां कहीं भी संभव है निजी उद्यमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। फिर भी बैंकिंग और बीमा में सार्वजनिक क्षेत्र की प्रभावी भागीदारी की आवश्यकता है।
सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए इक्विटी पूंजी लगाने पर बल दिया जा रहा है। साथ-साथ नया एआरसी ढांचा बनाया जा रहा है ताकि बैंकों के एनपीए पर नजर रखी जा सके और ऋण समस्याओं का समाधान फोकस के साथ किया जा सके। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मजबूत होंगे। उन्होंने अवसंरचना तथा औद्योगिक परियोजनाओं के विकास के लिए नए विकास वित्तीय संस्थान की चर्चा की ताकि ऐसी परियोजनाओं की दीर्घकालिक वित्तीय जरूरतें पूरी की जा सकें। श्री मोदी ने कहा कि अवसंरचना क्षेत्र में निवेश के लिए सोवरन वेल्थ फंड, पेंशन फंड तथा बीमा कंपनियों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि केवल बड़े उद्योग और बड़े शहरों से भारत को आत्मनिर्भर भारत नहीं बनाया जाएगा। छोटे उद्यमियों तथा सामान्य लोगों की कड़ी मेहनत से गांवों में आत्मनिर्भर भारत बनेगा। आत्मनिर्भर भारत किसानों तथा बेहतर कृषि उत्पाद बनाने वाली इकाईयों द्वारा बनाया जाएगा। आत्मनिर्भर भारत हमारे एमएसएमई तथा स्टार्टअप से बनेगा। इसलिए कोरोना काल में एमएसएमई के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई और इन उपायों का लाभ 90 लाख उद्यमों ने उठाया और 2.4 ट्रिलियन रूपये के ऋण प्राप्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनेक सुधार किए हैं तथा कृषि, कोयला तथा एमएसएमई के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होने के साथ ही इसके तेज विकास के लिए ऋण प्रवाह समान रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने नए स्टार्टअप्स के लिए नए तथा बेहतर उत्पाद तैयार करने में फिनटेक स्टार्टअप के उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि फिनटेक ने स्टार्टअप कारोबार में बढ़चढ़ कर भागीदारी की और यह कोरोना काल में भी हुआ। उन्होंने विशेषज्ञों को हवाला देते हुए कहा कि इस वर्ष भी भारत में वित्तीय क्षेत्र में गति बनी रहेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में अनेक वर्षों में टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग तथा नई प्रणालियों ने वित्तीय समावेश में बड़ी भूमिका अदा की है। उन्होंने कहा कि आज देश में 130 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड है और 41 करोड़ से अधिक देशवासियों के जनधन खाते हैं। इन खातों में से लगभग 55 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं और उनमें लगभग डेढ़ लाख करोड़ रूपये जमा हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना से 15 लाख करोड़ रूपये के ऋण छोटे उद्यमियों को मिले हैं। इसमें भी 70 प्रतिशत महिलाएं हैं और 50 प्रतिशत से अधिक दलित, वंचित, जनजातीय तथा पिछड़े वर्ग के उद्यमी हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पीएम किसान स्वनिधि योजना के अंतर्गत लगभग 11 करोड़ किसान परिवारों ने सीधे अपने खातों में 1 लाख 15 हजार करोड़ रूपये प्राप्त किए हैं। उन्होंने स्ट्रीट वेंडरों के लिए पीएम स्वनिधि की चर्चा की जो इस वर्ग के लिए पहली वित्तीय समावेश की पहल हैं। लगभग 15 लाख वेंडरों को 10 हजार करोड़ रूपये के ऋण दिए गए हैं। एमएसएमई के आसान ऋण के लिए ट्रेंड्स, पीएसबी डिजीटल ऋण प्लेटफोर्म काम कर रहे हैं। किसान केडिट कार्ड से छोटे किसान पशुपालक तथा मछुआरे अनौपचारिक ऋण के शिकंजे से मुक्त हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने वित्तीय क्षेत्र से इस वर्ग के लिए नवाचारी वित्तीय उत्पाद तैयार करने को कहा। उन्होंने सुझाव दिया कि स्वयं सहायता समूह सेवा से मैन्यूफैक्चरिंग तक क्षमता रखते हैं और उनमें वित्तीय अनुशासन है। उन्हें ग्रामीण अवसंरचना में निवेश का आदर्श माध्यम बनाया जा सकता है। यह केवल कल्याण की बात नहीं है बल्कि एक बड़ा बिजनेस मॉडल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश वित्तीय समावेश के बाद तेजी से वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ रहा है। आईएएफएससी गिफ्ट सिटी में एक विश्वस्तरीय फाइनेंशियल हब बनाया जा रहा है क्योंकि अगले पांच वर्षों में भारत में फिनटेक बाजार 6 ट्रिलियन से अधिक का हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में आधुनिक संरचना निर्माण केवल हमारी महत्वकांक्षा नहीं है बल्कि आत्मनिर्भर भारत की आवश्यकता भी है। इसलिए इस वर्ष के बजट में अवसंरचना क्षेत्र के लिए बड़े लक्ष्य रखे गए हैं। उन्होंने इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निवेश की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि निवेश लाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संपूर्ण वित्तीय क्षेत्र के सक्रिय सहयोग से ही ये लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए सरकार बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। अभी तक बैंकिंग सुधार किए गए हैं और ये सुधार जारी रहेंगे।