16 अप्रैल को है विनायक चतुर्थी, ऐसे करें श्रीगणेश की पूजा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15अप्रैल।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने दो चतुर्थी आती हैं। अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। 16 अप्रैल को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने अपनी शक्तियों के साथ चंदन के लेप का इस्तेमाल कर एक मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाले। इस मूर्ति से जन्मे बालक ने माता पार्वती को मां कहकर पुकारा। इसलिए यह दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि-

इस दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपड़ों को धारण करें।
पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है।
भगवान गणेश की पूजा के दौरान मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने धूप-दीपक प्रज्जवलित करें।
भगवान गणेश को घी, दूर्वा, रोली, अक्षत आदि अर्पित करें।
अब भगवान गणेश को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
शाम को व्रत कथा पढ़कर चंद्रदर्शन के बाद व्रत को खोलें।

विनायक चतुर्थी 2021 पूजा शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:14 am, अप्रैल 17 से 04:59am, अप्रैल 17 तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:43 am से 12:34 pm तक।
विजय मुहूर्त- 02:17pm से 03:08 pm तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:20pm से 06:44 pm तक।
अमृत काल- 08:03pm से 09:52pm तक।
निशिता मुहूर्त- 11:46 pm से 12:30 am, अप्रैल 17 तक।
रवि योग- 05:44 am से 11:40pm तक।

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