भारत में कोरोना का कहर औऱ ऑक्सीजन की कमी, चारो तरफ मचा हाहाकार, पीएम मोदी बोले-राज्यों को हो आपूर्ति
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22अप्रैल। एक तो देश में कोरोना के प्रकोप बढ़ता जा रहा है। एक बाद एक लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे है। उपर से सरकार के पास इस विपदा से निपटने की कोई तैयारी नहीं। आए दिन ऐसे मामलें आ रहे है कि ऑक्सीजन की कमी से मरीज अपनी जान गंवा रहे है।
देश में महामारी ने जमाखोरो को भी मौका दे दिया है जमाखोरी का…हालांकि धानमंत्री ने ऑक्सीजन की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ राज्यों को कठोर कार्रवाई करने को भी कहा। दिल्ली, लखनऊ, हरियाणा जैसे कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी की बात सामने आई है। इस बाबत खुद गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभी राज्यों से अपील की है कि वो ऑक्सीजन की सप्लाई ना रोकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता और इसकी आपूर्ति को लेकर गुरुवार को एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की और इस दौरान ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाए जाने के रास्तों और विकल्पों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक इस बैठक में प्रधानमंत्री ने ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने, उसके वितरण की गति तेज करने और स्वास्थ्य सुविधाओं तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए तेज गति से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दौरान अधिकारियों ने पिछले कुछ सप्ताहों में ऑक्सीन की आपूर्ति बेहतर करने की दिशा में उठाए गए कदमों से प्रधानमंत्री को अवगत कराया।
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री को बताया गया कि राज्यों की ऑक्सीजन की मांग और उसके अनुसार उसकी पर्याप्त आपूर्ति के लिए सभी राज्य सरकारों के साथ सहयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री को यह भी बताया गया कि कैसे राज्यों की ऑक्सीजन की मांग तेजी से बढ़ रही है। बयान के मुताबिक 20 राज्यों की ओर से प्रतिदिन 6785 मीट्रिक टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की वर्तमान मांग के मुकाबले 21 अप्रैल से उन्हें 6822 मीट्रिक टन प्रतिदिन आवंटित की जा रही है।
उपलब्धता 3300 मीट्रिक टन बढ़ी
बैठक के दौरान बताया गया कि पिछले कुछ दिनों में तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की उपलब्धता 3300 मीट्रिक टन प्रतिदिन बढ़ी है। इसमें निजी और सरकारी इस्पात संयंत्रों, उद्योगों, ऑक्सीजन उत्पादकर्ताओं का योगदान शामिल है। गैर-आवश्यक उद्योगों की ऑक्सीजन आपूर्ति पर रोक लगाकर भी ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाई गई है।