कॉमन सेंस, सुधार क्षणिकाएं 6169:

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

माहौल है मौका है, सब बिगड़े सुधार लो

फिर यादें रे जाएंगी,अब प्यार अपार लो

रंजिशें कब काम की,बेकार का बोझ ये

के खराशें रही होंगी,आज सब उतार दो

साथ क्या जाना है, हिसाब सब पूरे करें

कब किसकी ठमे,सास-ऋण नितार दो

मान, पैसा न रहे,देख लो सब छोड़ गए

सदा को कोई नहीं,यादें हैं,सब सवार दो

नाइ पीढ़ी भी सीखे,ऐसे कुछ मकाम हों

एहसास ही रहेंगे,तो जुनून से निखार दो

प्रो.कुलविंदर सिंह एहसास

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.