एक गॉंव ऐसा, जहाँ नहीं मिली कोरोना को एंट्री !

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अजय रमोला
समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 22 मई।  जहां एक तरफ भारत, वैश्विक महामारी कोरोना से पीड़ित है और चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है। वही इस देश का एक छोटा हिस्सा ऐसा भी है जो अभी तक इसकी चपेट में नही आया है।

ये गांव है देवभुमि उत्तराखड में… जी हां उत्तराखड के जिला टिहरी के कोलधार गॉंव के निवासियों ने “जहां चाहा वहां रहा” कहावत को अपने दृढ़ निश्चय और अदम्य साहस एवं अनुशासन द्वारा सही साबित करके दिखाया है।

While India is suffering from Corona, a global pandemic on the one hand, there is chaos all around. The same is also a small part of this country which has not yet come into its grip. This village is in Devbhumi Uttarakhad
उत्तराखंड के पहाड़ जब कोरोना के कहर से कराह रहा है, तो कोलधार गांव में एक भी कोरोना रोगी का नहीं मिलने की खबर आई। यहाँ के निवासियों के जज्बे को सलाम करने को जी चाहता है। सलाम करना भी चाहिए…जब देश में सरकार ने कोरोना गाइडलाइन को पालन कराने के लिए सख्ति लागू कर रहे थे, तब लोंगों ने जमकर कोरोना के प्रोटोकाल के धज्जियां उड़ाई।
कोलधार गॉंव के निवासियों ने सिर्फ और सिर्फ अपनी सूझ-बूझ से इसको अपने गांव में घुसने नहीं दिया। इसका अनुसरण अगर बाकी के गॉंव कर ले तो, कोरोना के खिलाफ जंग जीती जा सकती है।

While India is suffering from Corona, a global pandemic on the one hand, there is chaos all around. The same is also a small part of this country which has not yet come into its grip. This village is in Devbhumi Uttarakhad
इस विपदा से पार पाने के लिए जागरूकता के माध्यम से कोविड-19 वायरस को यहाँ के गॉंव वासी दूर रखने में सफल रहे हैं। एक और जहाँ उत्तराखंड के बाकी के गांव कोविड-19 वायरस की लहर की चपेट में हैं, वहीं कोलधार के ग्रामीणों ने यह सुनिश्चित किया है कि कोविड-19 वायरस को उनके गांव में एंट्री न मिले।

गांव के लोगों ने जिस तरह से आत्मानुशासन दिखाया, वह अनुकरणीय है। ग्रामीणों के जागरूकता और अनुशासन के मंत्र के कमाल के कारण इस महामारी की चपेट में आने से बचे हुए हैं। जिस कारण यह गांव कोरोना से लड़ाई में प्रथम पायदान पर है। इस गांव के लोग बखूबी समझते हैं कि कोरोना के प्रति गंभीरता, सजगता और सावधानी ही इस अदृश्य शत्रु कोरोना को हरा सकती है।

कैसे किया बचाव-
कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव बढ़ने के बाद से गांव के लोगों ने सार्वजनिक कार्यक्रमों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों से दूरी बना ली। संक्रमण के खतरे को देखते हुए गांव में होने वाले शादी-ब्याह के कार्यक्रम भी निरस्त कर दिए हैं। दूसरे राज्यों से गांव आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन केंद्र बनाने के साथ ही खाने-पीने की सभी सुविधाओं का भी अलग से प्रबंध किया है।
इसके साथ ही गांव में साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा गया है। गांव के बुजुर्ग प्रकृति प्रेमी रहे हैं। इसलिए गांव के मध्य पीपल का पेड़ ग्रामीणों को शुद्ध आक्सीजन दे रहा है। ऐसे में हमें अगर कोरोना से बचना है, तो गांव के लोगों से कुछ बातें सीखनी ही चाहिए और दूसरों को भी सीखानी चाहिए।
प्रधान ललिता देवी और पूर्व प्रधान सुरेंद्र दत्त उनियाल कहते हैं कि गांव में सब जानते हैं कि घर में रहकर ही कोरोना को हरा पाएंगे। गांव के सभी लोगों के गाइड लाइन का सख्ती से पालन करने के कारण ही कोरोना को गांव में नहीं घुसने दिया।
अब तक 100 परिवार वाले इस गॉंव में एक भी संक्रमण का केस नहीं आया है। सामाजिक संघठनों ने इस प्रयास की प्रसंशा की है और सरकार से मांग की है की वह इस गॉंव को प्रोत्साहन राशि देकर पुरुस्कृत करें।
“अपना परिवार संस्था”, के अध्यक्ष पुरुषोत्तम भट्ट का कहना है कि सरकार को ऐसे गॉंवों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

The residents of Koldhar village in district Tehri have proven the saying “Adversities makes man more dynamic” true as they have succeeded in keeping the Covid-19 virus at bay through sheer hard work, discipline, and awareness.

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