समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22मई। अब कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस के नई समस्या बनी हुई है लेकिन अगर आप इसके शिकार हो जाते है तो आपको घबराने की जरूरत नही है। ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक कर पाता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। डाइबिटीज मरीज स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनका इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है जिससे वे ब्लैक फंगस के शिकार हो जाते है।
देश में बुधवार तक करीब 5,500 लोगों में ब्लैक फंगस के संक्रमण की पहचान हो चुकी थी और इससे 126 लोगों की मौत भी हो चुकी है। यही वजह है कि देश के स्वास्थ्य अधिकारी काफी सतर्क हो गए है लोगों को जागरूक करने में लगे है।
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया और मशहूर अस्पताल मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस को लेकर कुछ अहम जानकारी दी है जो जानना बेहद जरूरी है।
डॉ. गुलेरिया और डॉ. त्रेहन ने कहा कि जिन लोगों को डाइबिटीज है और वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं, उन पर ब्लैक फंगस के आक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। उनका कहना है कि दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक कर पाता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। चूंकि डाइबिटीज मरीज स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए उनका इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है, इस कारण ब्लैक फंगस को उन्हें अपना शिकार बनाने का मौका मिल जाता है। दोनों एक्सपर्ट ने इस संबंध में बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां दीं, जिन्हें आपको भी गंभीरता से समझना चाहिए…
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं। पहला शुगर कंट्रोल बहुत अच्छा होना चाहिए, दूसरा हमें स्टेरॉयड कब देने हैं इसके लिए सावधान रहना चाहिए और तीसरा स्टेरॉयड की हल्की या मध्यम डोज देनी चाहिए।
1. शुगर कंट्रोल- खून में चीनी की मात्रा बढ़ने नहीं दें। जो लोग डायबिटिक हैं, उन्हें अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने का अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए।
जो डायबिटिक नहीं हैं, लेकिन नियमित तौर पर स्टेरॉइड्स ले रहे हैं, उन्हें अपना ब्लड शुगर हमेशा चेक करते रहना चाहिए।
2. स्टेराइड गाइडलाइंस का सख्त पालन – हमने स्टेरॉइड देने को लेकर गाइडलाइंस जारी किया है। उसकी के मुताबिक स्टेरॉइड दिया जाए।
3. स्टेरॉइड के बेजा इस्तेमाल से परहेज – स्टेरॉइड देने से बचें। अगर जरूरत पड़े तो कम डोज दें ना कि बहुत ज्यादा। इस तरह की दूसरी दवाइयां भी तभी दी जाएं जब बहुत जरूरी हों।
ये है इलाज
डॉक्टर त्रेहन ने कहा, “यह नाक या मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। दूसरे चरण में यह आंख को प्रभावित करता है और तीसरे चरण में यह दिमाग पर अटैक करता है।” चार से छह हफ्ते तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं। गंभीर मामलों में तीन-तीन महीने तक इलाज चलता है।
अफवाहों पर ना दे ध्यान
1. कुछ कच्चा खाने (Raw Food) से फंगल इन्फेक्शन हो रहा है
2. जहां तहां से लाए गए सिलिंडर से कोरोना मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट देने के कारण
3. किसी खास स्थान पर ही हो रहा है। हकीकत यह है कि होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीज में फंगल इन्फेक्शन देखा जा रहा है।