अजय सेतिया।
अस्वस्थ सोनिया गांधी को मजबूरी में कांग्रेस की कमान संभालनी पड़ी थी | क्योंकि कांग्रेस उन से भी ज्यादा अस्वस्थ थी और ऐसा कोई स्वस्थ नेता भी नहीं मिला , जो बीमार कांग्रेस में जान फूंक सकता | पहले राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को उतावले थे और बाद जब लोकसभा चुनावों में नाकाम साबित हुए तो इस्ताफा देने को बाजिद्द थे | अब नेहरू परिवार के चाटुकार उन्हें दुबारा अध्यक्ष बनाने को उतावले हैं | यों कहिए कि परिवार ने उतावलेपन की जिम्मेदारी इस बार अपने चाटुकारों पर छोड़ दी है | वे बता रहे हैं कि हमारे पास नेताओं का भंडार है , कमलनाथ से ले कर अशोक गहलोत तक , चिदंबरम से खड्गे तक , और दिग्विजय सिंह से शशि थरूर | पर उन का खुद का मानना है कि मोदी को इन में कोई नहीं हरा सकता , मोदी को हराना है तो राहुल या प्रियंका ही चाहिए | मोदी और भाजपा भी यही चाहती है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बनें | भाजपा के जीतते रहने के लिए सामने राहुल ही जरूरी है |
जब तक राहुल की मानमनोव्वल की कांग्रेसी प्रक्रिया पूरी नहीं होती , तब तक अस्वस्थ सोनिया को मजबूरी में जिम्मेदारी ढोनी पड रही है | लेकिन उन की तारीफ़ करनी पड़ेगी कि वह राजनीति से ऊपर उठ कर संवेदशीलता को तरजीह दे रही हैं | प्रधानमंत्री को उन की पिछली दो-तीन चिठ्ठियाँ सकारात्मक विपक्ष की भूमिका वाली हैं | पहले उन्होंने कोरोना के कारण अनाथ होने वाले बच्चों को नवोदय विद्यालयों में मुफ्त पढाई का इंतजाम किया जाए | अब उन्होंने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने दवाईयों का मामला उठाया है | मोदी को लिखी चिठ्ठी में सोनिया ने लिखा है कि कोरोना संक्रमण के साथ अब म्यूकरमाइकोसिस के मामले बढ़ रहे हैं | इस के मुफ्त इलाज का प्रावधान न तो आयुष्मान भारत योजना में है और न ही स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में | सो पहली बात तो यह कि इसे इन दोनों बीमाओं में जोड़ा जाए | दूसरी बात यह कि इस के ईलाज की दवा लिपोसोमल इंफोटेरिसिन बाज़ार में उपलब्ध नहीं है | जिस की तुरंत उपलब्धता करवाई जाए | तीसरी बात यह कि ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित किया जाए |
सोनिया भले ही कुछ घंटों की देरी कर गई , लेकिन उन की संवेदनशीलता की तारीफ़ की जानी चाहिए | उन्होंने तुरंत विशेषज्ञों से पता करवाया होगा और चिठ्ठी लिखवाई होगी | सरकार ने एक दिन पहले शुक्रवार को ही ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के निर्देश जारी कर दिए थे | 17 प्रसिद्ध डाक्टरों की सलाह से आईसीएमआर ने जांच और इलाज के दिशा निर्देश जारी कर दिए थे | जिस जिस राज्य में ब्लैक फंगस के जितने मरीज पाए गए थे , उस के हिसाब से करीब करीब तीन गुना डोज भेज दी गई थी | राज्यवार भेजी गई दवा की सूची भी मीडिया को जारी कर दी थी | लिपोसोमल इंफोटेरिसिन को भारत में पांच कंपनिया बनाती थीं , एक कंपनी आयात करती थी | शुक्रवार को ही पांच नई कंपनियों को भी बनाने के लाईसेंस दे दिए गए थे | जुलाई से पाँचों कंपनियां हर महीने एक लाख ग्यारह हजार वायरल बनाएंगी |
अब अपन आते हैं सोनिया गांधी की पहली चिठ्ठी पर | सोनिया का सुझाव काबिल-ए-तारीफ़ है | नरेंद्र मोदी के अलावा शिक्षा मंत्री निशंक भी उस पर गौर कर सकते हैं | अलबत्ता तुरंत आदेश जारी कर सकते हैं | पर ऐसा नहीं है कि केंद्र कुछ राज्य सरकारें बच्चों को ले कर पहले से ही गंभीर नहीं है | उत्तराखंड की बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य ने सब से पहले संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्चों को 2000 रुपए महीने के अनुदान का एलान किया था | फिर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5000 रूपए महीने का एलान किया | तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव और आंध्र के मुख्यमंत्री रेड्डी ने भी ऐसा ही एलान किया | अपन को कांग्रेस के किसी मुख्यमंत्री की ऐसी संवेदनशीलता नहीं दिखी | पर बात सोनिया की , तो सोनिया गांधी को उन्ही की पुरानी प्रिय नेता रीता बहुगुणा ने जवाब दिया है | उन्होंने सोनिया को बताया है कि केंद्र पहले ही सभी राज्यों को एडवाईजरी भेज चुका है | लिखा कि मैडम यूपी में यह काम शुरू भी हो चुका है | ऐसे 765 बच्चों की पहचान कर ली गई है और उन्हें 18 डिविजन के अटल रेजिडेंशियल स्कूल में दाखिल किया जावेगा | लगता है रीता बहुगुणा सोनिया से कुछ ज्यादा ही खफा हैं , उन्होंने अपनी चिठ्ठी में ताना दिया है कि वह कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों को सलाह दें कि वे भी कुछ करें |