ट्रैफिक जंक्शनों और बाजारों में भीख मांगने वालों पर लगी रोक, दिल्ली उच्च न्यायालय ने जारी किया आदेश

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1जून। देश में कोरोना महामारी इतनी तेजी से फैला कि किसी को इसका अंदाजा भी नहीं था। इस दौरान 3,31,895 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है ये तो वही मामलें है जो दिखाए जाते है लेकिन वास्तविकता इसके विपरित है। ऐसे अब कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण और अज्ञानता या मजबूरी के कारण जो लोग भीख मांगने को मजबूर ऐसे लोगों की जिंदगी दांव पर लगी है। क्योंकि अगर लोग नही निकले तो उन्हें भीख देगा कौन। और जब लॉकडाउन खुलेगा तो यही महामारी के फैलने का कारण भी बन सकते है क्योंकि ये लो भीख के लिए गाड़ियों के पास जाते है उन्हें छुते है औऱ इस दौरान ना ये मास्क युज करते है ना सेनिटाइजर…। इसी मामलें को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें भिखारियों और आवारा लोगों को ट्रैफिक जंक्शनों और बाजारों में भीख मांगने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई ताकि COVID19 को फैलने से रोका जा सके और इसी माध्यम से उनका पुनर्वास भी हो सकेगा। याचिका में भिखारी के लिए भोजन, चिकित्सा और आश्रय की मांग की गई है।

कोरोना से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजर बेहद जरूरी है लेकिन, लॉकडाउन की स्थिति में भी ये लोग भीख मांगने को मजबूर हैं। ऐसे में इनके पास न तो मास्क हैं और न ही सैनिटाइजर।
अधिवक्ता भाग्यश्री और वीरेंद्र कुमार के माध्यम से वकील का अभ्यास करने वाले याचिकाकर्ता नरेंद्र पाल सिंह ने कहा कि एनसीटी दिल्ली में मौजूदा महामारी के मद्देनजर भिखारियों की बढ़ती संख्या को देखना एक खेदजनक स्थिति है क्योंकि यह बीमारी तेजी से फैल सकती है क्योंकि वे प्रत्येक वाहन को छूते हैं। .
याचिका में कहा गया है कि भिखारियों को कोरोनावायरस के संपर्क में आने के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि किसी को भी उन पर कोई कोरोना परीक्षण करने की जहमत नहीं उठाई जाती है, और इसके अलावा ट्रैफिक लाइट पॉइंट और बाजार क्षेत्र में लोग खतरे में हैं क्योंकि वे न तो मास्क पहनते हैं और न ही सामाजिक दूरी बनाए रखते हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि एनसीटी प्रशासन और डीयूएसआईबी को सामूहिक रूप से भीख मांगने और उनके पुनर्वास के लिए रोड मैप तैयार करना होगा।
याचिका में कहा गया है, “भिखारियों के साथ-साथ अन्य लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी, जो उनसे संक्रमित हो सकते हैं, एनसीटी प्रशासन और डीयूएसआईबी पर है और भारत के संविधान के तहत इसकी गारंटी है।”
याचिका में यह भी कहा गया है कि भीख मांगना न केवल एक सामाजिक बुराई है बल्कि भिखारी माफिया इसे ठीक से चला रहा है।

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