हरदीप पूरी ने विपक्षियों से किया सवाल- सेंट्रल विस्टा को ‘मोदी महल’ कहने वाले बताएं, 13000 करोड़ के आंकड़े कहाँ से आए
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1जून। सेंट्रल विस्टा परियोजना को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा के काम को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद अब विपक्षियों ने सरकार पर अपनी बयानबाजी भी शूरू कर दी। लेकिन इसके जवाब में शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कांग्रेस से सवाल पुछते हुए कहा कि सेंट्रल विस्टा को ‘मोदी महल’ कहने वाले बताएं, 13000 करोड़ के आंकड़े कहाँ से आए है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि सेंट्रल विस्टा पर देश की जनता को गलत जानकारियां दी गई हैं। बीते कुछ महीनों से झूठे इल्जाम लगाए गए। उन्होंने कहा कि बीते कुछ दिनों में झूठे आरोप लगाए गए और इसे वैनिटी प्रोजेक्ट कहा गया। इसकी आवश्यकता नहीं है। कुछ लोगों ने इसे 13 हजार 400 करोड़ में बनने वाला मोदी महल कहा…किन्तु मैं पूछता हूं कि ये आंकड़े कहां से आए? वे लोग इसका जवाब दें।
उन्होंने कहा, “नए संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर काम प्राथमिकता के आधार पर शुरू हो गया है क्योंकि इसका उद्देश्य आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक इसे पूरा करना था।”
उन्होंने कहा कि एक नई संसद का निर्माण महत्वपूर्ण है क्योंकि पुराने भवन का निर्माण सौ साल पहले अंग्रेजों द्वारा किया गया था और इसे “एक स्वतंत्र देश” के लिए नहीं बनाया गया था।
उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भूकंपीय क्षेत्र 2 में है, और यदि तेज झटके आते हैं, तो यह भूकंपीय क्षेत्र 4 के अंतर्गत आएगा साथ ही आपको जगह चाहिए ताकि जनप्रतिनिधि बैठ सकें। जब संख्या बढ़ती है, तो क्या हमें बंक सीटिंग की व्यवस्था करने की उम्मीद है?”
उन्होंने कहा कि दो परियोजनाओं – संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू – की लागत लगभग 1,300 करोड़ रुपये है।
महामारी की पृष्ठभूमि के खिलाफ इन लागतों को रखने वाली रिपोर्टों और याचिकाओं क्या संबंध है?
हरदीप पुरी ने कहा कि आजादी के समय हमारी जनसंख्या 350 मिलियन के करीब थी। संसद भवन में हमें जगह की जरूरत होती है, ताकि संसद सदस्य बैठ सकें। राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब से ये मांग हो रही है कि एक नई संसद बनाई जाए, जो आज की परिस्थिति के अनुकूल हो। इस पूरी परियोजना में कुल खर्चा 1300 करोड़ रुपये के आसपास है।