कोरोना के कारण भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व की स्थिति बदली है- माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30जून। माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले ने कहा कि कोरोना के कारण भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व की स्थिति बदली है। कोरोना से पूर्व की स्थिति हम सब के लिये संस्मरण बन गई है। महामारी के कारण बहुत सारे परिवारों ने अपने परिवारजन व सगे-संम्बंधियों को खो दिया। बडे स्तर पर जनहानि और धनहानि हुई है।
उन्होंने कहा कि विद्यालय न्यायालय बाधित रहे..बहुत सारे लोग रोजगार बिहीन हो गये हैं। आर्थिक तंगी भी आयी है। इस बिषम परिस्थिति मे समाज के बहुत सारे सेवाभावी संगठन व्यक्ति व संघ के स्वंयसेवक आगे आये, और अपने सामाजिक कर्तव्य को बडी निष्ठा के साथ पूरा करते हुये,भोजन,दवाई,यातायात और आईसोलेशन की ब्यवस्था को संभाला।
दत्तात्रेय जी होसबाले ने कहा कि स्वंयसेवकों ने भी समाज मे जाकर नई-नई युक्तियों के साथ बडे ही सेवाभाव से अपना कर्तब्य निभाया। ऐसे बिषम कालखण्ड विश्व के अन्यान्य देशों में,समस-समय पर आते ही रहते हैं। इसलिये हमें सदैव तैयार रहना चाहिये। पिछली तालाबंदी में परमपूज्यनीय सरसंघचालक जी ने बताया था कि एकांत मे साधना…लोकांत मे परोपकार इसे स्वंयसेवकों ने चरितार्थ किया। प्रवासी मजदूरों को भी अपना आशियाना छोडकर, दु:ख कष्ट सहते हुये,अपने गाँव कस्बे की तरफ पैदल ही चलना पडा।
फिर भी, वो बिना कोई हो-हल्ला किये महामारी की जटिलता को समझते हुये,शांति से चले गये। स्वंयसेवकों को भी सेवा करने का कोई पूर्वाभ्यास नहीं कराया गया था,यह एक गुण है,जो शाखा मे जाकर स्वत: ही आ जाता है। अभी हमारे लिये,तीन करणीय कार्य हैं-
(1) पुनर्वास…रोजगार की चिंता,जनहानि पर सांत्वना,कांउसलिंग आदि
* शिक्षा….पढाई की चिंता,

(2)तीसरी लहर….न आये,ऐसी प्रार्थना करें,लेकिन यदि आती भी है तो पूर्व तैयारी रखें
(वेटिंग फॉर गोडो…इंगलिश नाटक की कहानी का उदाहरण..)
(3)नित्यकार्य,शाखा….नित्यसिद्धशक्ति के निर्माण के लिये,हमें पूर्व की भाँति लगना पडेगा
*शाखा,बैठक,वर्ग,मिलना,ब्यक्तिनिर्माण का कार्य सब बाधित हुआ
डा. सर्वपल्लीराधाकृष्णन का कथन..”हम सभ्यता का निर्माण कर रहे हैं,किसी फैक्ट्री का नहीं,चरित्रनिर्माण हमारी प्राथमिकता मे होना ही चाहिये”
महामना मालवीय जी ने भी कहा था कि ग्रामे-ग्रामे सभाकार्ये, ग्रामे-ग्रामे कथा शुभे,ग्रामे-ग्रामे पाठशाला,ग्रामे-ग्रामे मल्यशाला,ग्रामे-ग्रामे महोत्सवे
* संघ कार्य करते हुये हमें कुछ बुराइयां..जैसे..स्वार्थ,लालच,सत्तालोभ,छुआ-छूत,जातिभेद आदि से बचना चाहिये(कोयले की दुकान का उदाहरण)
भारतदेश का सम्पूर्ण समाज,संघ के स्वंयसेवकों की तरफ,आशा भरी नजरों से देख रहा है।इसलिये हमें और अधिक मजबूती के साथ तैयार होकर खडा रहना होगा।

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