समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 जुलाई। कोरोना की चपेट में आना मतलब जान जानी ही है..ऐसा ही प्रतीत हो रहा है भलें ही आप उससे ठीक होकर घर वापस आ जाए लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद भी ब्लैस फंगस, येलो फंगस, व्हाइट फंगस और ग्रीन फंगस का खतरा बना ही रहता है। खतरा भी ऐसा की शरीर का कोई अंग तो लेकर ही जाए।
अब इन फंगसों के बाद एक नई आफत आई है जो कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को अलग तरिके से बना रही है। जी हां अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के नए मामले सामने आ रहे है।
इस नई बीमारी में लोगों के शरीर की हड्डियां गलने लगती हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के तीन मामले सामने आए हैं। इस नई बीमारी ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। जबकि विशेषज्ञों ने कहा है कि आने वाले समय में इस घातक बीमारी के मामले बढ़ सकते है।
यह मामला मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती तीनों मरीजों में पाया गया जिनकी उम्र 40 साल से कम है। कोरोना से ठीक होने के दो महीने बाद ही उनमें एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के लक्षण विकसित होने लगे। म्यूकोरमाइकोसिस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस दोनों ही स्टेरॉयड के इस्तेमाल से जुड़ी हुई हैं। बता दें कि कोरोना के मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।
हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा, इन मरीजों को फीमर बोन यानी जांघ की हड्डी में दर्द महसूस हुआ। ये तीनों ही मरीज डॉक्टर थे जिसके कारण उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई और वे तुंरत इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए।
डॉ संजय अग्रवाल न कहा कि 36 साल के एक मरीज में कोरोना से ठीक होने के 67 दिन बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस की शिकायत हुई जबकि दो अन्य मरीजों में 57 और 55 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखें। उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे।