समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20जुलाई। रोना के बढ़ते मामलों के बीच बकरीद के अवसर पर लाकडाउन से संबंधित प्रतिबंधों में ढील दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह चौंकाने वाली स्थिति है कि केरल सरकार ने लॉकडाउन मानदंडों में ढील देने में व्यापारियों की मांग को मान लिया है। केरल सरकार ने बकरीद के मद्देनजर लॉकडाउन प्रतिबंधों में तीन दिनों के लिए छूट देने का ऐलान किया है।
जस्टिस आरएफ नारिमन ने केरल सरकार से कहा कि टेक्सटाइल और फुटवियर जरूरी सामान के दायरे में नहीं आता, जिसे आपकी ओर से मंजूरी दी गई जबकि पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है।
कोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार को खतरे में डाला गया. केरल सरकार का ये बहुत ही दुभाग्यपूर्ण रवैया है, जिसने अनुच्छेद 21 और 144 का ख्याल नहीं रखा और नागरिकों के अधिकारों को ताक पर रख दिया. साथ ही कहा कि इस तरह की नीतियों से कोविड संक्रमण में तेजी आने कि पूरी संभावना बनती है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह का दबाव भारत के नागरिकों के जीवन के अधिकार के सबसे कीमती अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है, अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो कोई भी जनता इसे हमारे संज्ञान में ला सकती है और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट के कांवड़ यात्रा से जुड़े आदेश का पालन करे।
मालूम हो कि मुस्लिमों के त्योहार बकरीद पर लॉकडाउन में ढील के मामले में केरल ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर किया था. केरल सरकार ने तर्क दिया कि पाबंदी और आर्थिक दुश्वारियां लोगों के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं. बकरीद को लॉकडाउन में रियायत देने पर सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में स्पष्ट कहा गया था कि लॉकडाउन को अनिश्चित काल तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
केरल सरकार ने दलीलों में कहा है कि तीन महीने से लगी पाबंदियों से लोग परेशान हैं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय को ध्यान में रखते हुए छूट दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केरल के मुख्य सचिव ने कहा कि आईएमए ने कहा था कि सख्त नियमों के कारण महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं।
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