समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली , 21जुलाई। हिंदू धर्म में चातुर्मास के आरंभ के साथ ही शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. हर वर्ष चतुर्मास, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष एकादशी से शुरू होते हैं और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि तक रहते हैं. इस साल चातुर्मास का आरंभ 20 जुलाई 2021 से हो रहा है. जो 14 नवंबर 2021 तक चलेंगे चातुर्मास यानि बदलते मौसम के साथ कुछ एहतियात बरतते हुए खुद को बदलने का समय। 20 जुलाई से 25 नवंबर 2021 तक चातुर्मास रहेगा। हिंदू धर्म के साथ जैन और बौद्ध धर्मों में भी चातुर्मास का विशेष महत्व बताया गया है। चातुर्मास वर्षाकाल का समय होता है और इस दौरान जैन और बौद्ध मुनि अपना विहार बंद करके एक ही जगह रहकर जप-तप-मौन साधना आदि करते हैं।
धर्म वैज्ञानिकों के अनुसार चातुर्मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये चार माह खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के होते हैं। ये चार माह बारिश के होते हैं। इस समय हवा में नमी काफी बढ़ जाती है जिसके कारण बैक्टीरिया, कीड़े, जीव जंतु आदि बड़ी संख्या में पनपते हैं। सब्जियों में जल में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। खासकर पत्तेदार सब्जियों में कीड़े आदि ज्यादा लग जाते हैं। इस लिहाज से इन चार माह में पत्तेदार सब्जियां आदि खाने की मनाही रहती है। इस दौरान शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए संतुलित और हल्का, सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है। चातुर्मास में मंत्र जप, साधना, योग और प्राणायाम करना सबसे बेहतर माना जाता है।
– देव पूजन, रामायण पाठ, भागवत कथा पाठ और श्रवण आदि के लिए चातुर्मास विशेष दिन होते हैं। इस दौरान धर्म-कर्म, दान के कार्य किए जाते हैं।
– आषाढ़ के महीने में अंतिम पांच दिनों में भगवान वामन की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
– आषाढ़ के बाद शुरू होता है श्रावण माह। श्रावण माह में भगवान शिव की विशेष उपासना की जाती है।
– श्रावण के बाद भाद्रपद माह भगवान गणेश और श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। इस माह में इन दोनों देवताओं की विशेष कृपा पाने के लिए विशेष व्रत, उपवास, पूजा करना चाहिए।
– इसके बाद आता है आश्विन माह। यह माह देवी और शक्ति की उपासना का माह होता है।
– इसके बाद आता है कार्तिक माह। कार्तिक माह देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित माह है। इस माह में महालक्ष्मी पूजा और भगवान विष्णु के जागने का समय होता है।
इस लिहाज से चातुर्मास के ये चार माह शास्त्रों में विशेष फलदायी कहे गए हैं।
कैसा हो खानपान
– चातुर्मास के दौरान वर्षाकाल रहता है। इसलिए खानपान में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। शास्त्रों का निर्देश है कि चातुर्मास में केवल एक समय हल्का भोजन करना चाहिए।
– इन चार माह में सात्विक जीवन व्यतीत करते हुए संयमों का पालन करना चाहिए।
– जल का अधिक से अधिक सेवन करें
– महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग योग का पालन चातुर्मास में अवश्य करना चाहिए। ये आठ अंग हैं, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
– चातुर्मास में हरी पत्तेदार सब्जियां, शाक आदि का सेवन करने से बचें।
– श्रावण में शाक, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक में दाल का सेवन नहीं किया जाता है।
– इन माह में जितना हो सके एक जगह निवास करते हुए ईश्वर भक्ति में लीन रहें।