अधिक पैसे का लालच देकर हिदुओं का किया जा रहा धर्मांतरण, अपने धर्म को बचाने के लिए हिंदु संगठन संघर्षरत

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22जुलाई। यूपी और झारखंड समेत कई राज्यों में गरीब और बेसहार लोगों को कुछ पैसों का लालच देकर उन्हें अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। आज से नही बल्कि सालों से इस देश ईसाई मिशनरियां मतांतरण में लगी हुई है।
ईसाई मिशनरियां पैसे और झूठ के दम पर लोगों को बेहतर जिंदगी के सपने दिखाते है और फिर आर्थिक मदद करते है उनके ऐसा करने से गरीब और बेसहार लोग उनकी बातों में आकर अपना धर्म तो बदल लेते है लेकिन कुछ दिन बाद भी उनके हालात जस के तस ही होते है।
वहीं इस सच को भी नकारा नहीं जा सकता है कि ईसाईयों द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण में कुछ राज्य सरकारें भी उनका सहयोग कर रही हैं।

लेकिन देश में ऐसे कई हिंदू संगठन ऐसे है जो इन लोगों के खिलाफ जाकर लोगों की मदद करते है। हिंदू संगठन का मानना है कि इन मिशनरियों से लोहा लेने के लिए और अधिक प्रयास की जरूरत है। हिंदू संगठनो का मानना है कि क्यों ना जरुरतमंदों अपने ही धर्मों को आर्थिक रूप से मदद के साथ ही सेवा कार्य बढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए।
विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे का कहना है कि 400 वर्षो से भारत में ईसाई मिशनरियां मतांतरण के काम में लगी हैं। पैसा के बल पर हजारों लोगों को उन्होंने इस काम में लगा रखा है। मतांतरण के काम के लिए ही उनके पास विदेश से धन आता है। पूरे देश में ईसाई मिशनरियों से प्रभावित हजारों स्वयंसेवी संस्थाएं भी विदेशी पैसे के बल पर इस काम में लगी हैं। हम लोगों के पास उनके मुकाबले पैसे की कमी है। बावजूद यह भी सच है कि इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि भारत इस छद्म लड़ाई के खिलाफ संघर्ष कर रहा है, जबकि विश्व के 126 देश ईसाई बन गए।

जागरुकता ही एकमात्र उपाय

अगर धर्मांतरण से बचना है तो उसके लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। परांडे ने कहा कि राम मंदिर निधि संग्रह अभियान के समय हमलोग देश के 5.50 लाख गांवों तक पहुंचे। वहां उत्साही लोगों को अपने साथ जोड़ा। अब गांवों में पादरियों का विरोध शुरू हुआ है, हम तक सूचना पहुंच रही है। छद्म लड़ाई में माहिर मिशनरियां अलर्ट हो गई हैं, अब वे गेरुआ वस्त्र धारण कर लोगों की आंखों में धूल झोंकते हैं। रूद्राक्ष की माला पहनकर उसमें क्रॉस लगाते हैं। लोग धीरे-धीरे अब इनकी धूर्तता को समझने लगे हैं। जर्मनी में तो दो लाख लोगों ने कैथोलिक चर्च को छोड़ दिया है।

अपने देश में भी जागरुकता फैल रही है, इसमें और तेजी लाने के लिए समाज को आगे आना होगा। हिंदू समाज का हर व्यक्ति अपने समाज को संगठित रखने के लिए सिपाही बन जाए। अगर उसके आसपास मतांतरण का खेल हो रहा है तो उसका विरोध करे। हम तक बात पहुंचाए। बस आंखें मूंद कर नहीं रहे। समझना होगा कि समाज कमजोर होगा, परिवार कमजोर होगा तो विदेशी ताकतें हावी हो जाएंगी।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.