केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक के साथ “5वें उत्तर-पूर्वी भारत पारंपरिक फैशन वीक (एनईआईएफडब्ल्यू) 2021 का किया उद्घाटन

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25जुलाई। नवनियुक्त केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय) ने माननीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, सुश्री प्रतिमा भौमिक एवं श्री ए. नारायणस्वामी की उपस्थिति में आज “5वें उत्तर-पूर्वी भारत पारंपरिक फैशन वीक (एनईआईएफडब्ल्यू) 2021 का वर्चुअली उद्घाटन किया।

इस मौके पर माननीय केंद्रीय मंत्री ने सभी का स्वागत किया और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और इसके अंतर्गत राष्ट्रीय दृष्टिदिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) को पूर्वोत्तर के दिव्यांगजनों के लिए कार्यक्रम के लिए बधाई भी दी।
उन्होंने इस दिव्यांगजन आंदोलन के माध्यम से पूर्वोत्तर सहित पूरे भारत में स्वदेशी और पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने और पूर्वोत्तर के प्रत्येक समुदाय की विरासत को संरक्षित करने के लिए इसे एक वार्षिक कार्यक्रम बनाने के उत्साहित किया साथ ही उन्होंने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कई राष्ट्रीय मिशन कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है और देश के भी नागरिको को इसका लाभ भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि डीईपीडब्ल्यूडी के सभी राष्ट्रीय संस्थान एक मजबूत कड़ी के रूप में कार्य करें और अपनी सेवाओं का विस्तार करें ताकि दिव्यांगजनों को इन सभी राष्ट्रीय मिशन कार्यक्रमों जैसे समग्र शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय बांस मिशन, कौशल विकास आदि का पूरा लाभ मिल सके।
डॉ. वीरेंद्र कुमार ने यह भी कहा कि ऐसा आयोजन निश्चित रूप से दिव्यांगजनों के लिए उद्यमशीलता के रास्ते को प्रोत्साहित करने वाला है और दिव्यांगजनों को यह रोजगार के अवसर भी देता है।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकरिता मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री, श्री ए. नारायणस्वामी ने भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के कारीगरों की तारीफ करते हुए कहा कि भारत का यह क्षेव अपने बेहतरीन कारीगरों प्रसिद्ध है और उनके कपड़ा, हथकरघा और शिल्प उद्योग के लिए एक बहुत ही उन्नत और बड़े पैमाने पर कारीगर उद्यमिता है।
इस मौके पर भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकरिता मंत्रालयकी माननीय राज्य मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने भी महिलाओं का उत्साहवर्धन किया और कहा कि पूर्वोत्तर की महिलाएं बुनाई, कपड़ा और शिल्प उद्योग में अपने कौशल के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने रेशम-पालन, रेशम-निष्कर्षण, बुनाई, लकड़ी-शिल्प, बांस शिल्प, जैविक खेती, ऑर्किड आदि के क्षेत्रों में उत्तर-पूर्व के स्वदेशी और पारंपरिक कौशल पर भी ध्यान केंद्रित किया।

सचिव डीईपीडब्ल्यूडी ने उल्लेख किया कि ‘इंडिया@75 नेशनल सेलिब्रेशन’ और पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में यह दिव्यांगजन आंदोलन धीरे-धीरे गति प्राप्त करेगा- यह समावेशी भारत की दिशा में दिव्यांगजन को सशक्त बनाने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
एनआईईपीवीडी, देहरादून पूर्वोत्तर भारत की कला और कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए पूर्वोत्तर के दिव्यांग आबादी और हितधारकों के हितों को पूरा करने के उद्देश्य से एनईआईएफडब्ल्यू 2021 का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर के विभिन्न जनजातियों और जातीय समूहों के दिव्यांगजनों को सशक्त बनाना और उनका उत्थान करना और कपड़ा और शिल्प उद्योग को समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। एनईआईएफडब्ल्यू ने कौशल और उद्यमिता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है; कारीगर प्रशिक्षण कार्यशाला; दिव्यांग कारीगरों की प्रदर्शनी; पारंपरिक ड्रेस शो और पारंपरिक सांस्कृतिक उत्सव; यह न केवल दिव्यांगजनों के कौशल और क्षमताओं के बारे में जागरूकता पैदा करेगा बल्कि उनके रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। सभी 08 पूर्वोत्तर राज्यों के दिव्यांगजन, दिव्यांगजनों के परिवार, गैर सरकारी संगठन, डीपीओ, अभिभावक संगठन, विशेष विद्यालय, विशेष व्यावसायिक केंद्र, सहकारिता आदि इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग ले रहे हैं, जो दिव्यांगजनों के कौशल, रोजगार और उद्यमिताके उत्तथान हेतु मार्ग प्रशस्त करेगा।
इस अवसर पर सचिव एवं संयुक्त सचिव डीईपीडब्ल्यूडी सुश्री अंजलि भवरा तथा डॉ. प्रबोध सेठ भी उपस्थित रहे।

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