समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3अगस्त। पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए महाराष्ट्र के पिछड़े संभागों के विकास को बढ़ावा देने के साथ ही इससे संबंधित विभिन्न प्रश्नों को हल करने के लिए मराठी पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण काम किया है, यह प्रतिपादन महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा सुधीर गव्हाने ने किया.
महाराष्ट्र सूचना केंद्र की ओर से आयोजित ‘महाराष्ट्र हीरक महोत्सव व्याख्यान श्रृंखला’ के 46 में व्याख्यान में – महाराष्ट्र के विकास में मराठी पत्रकारिता का योगदान, विषय पर वह बोल रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि सच्चाई बताना पत्रकारिता का धर्म है और इसका पालन मराठी पत्रकारिता ने बहुत ही बढ़िया तरीके से किया है. उन्होंने कहा कि मराठी पत्रकारिता नए युग की पत्रकारिता होने के उपरांत भी उसने मूलभूत तत्वों से कभी मुंह नहीं मोड़ा. महाराष्ट्र राज्य के निर्माण के पश्चात राज्य के विकास को लेकर विभिन्न समस्याओं पर मराठी पत्रकारिता ने काफी अच्छी तरीके से अपनी जवाबदेही को निभाया है और सरकार में भी समय-समय पर इन समाचार पत्रों के आधार पर कदम उठाते हुए अनेक मुद्दों को हल किया है.
उन्होंने कहा कि राज्य के संस्कृति और परंपरा का संचित जतन करके जनता तक ले जाने का महत्वपूर्ण कार्य भी मराठी पत्रकारिता ने क्षमता के साथ किया है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के निर्माण के पश्चात राज्य की नई आशाओं को और नई दृष्टि को जनता तक ले जाने तथा जनमत तैयार करने का काम मराठी पत्रकारिता ने अच्छी तरीके से किया है. उन्होंने मराठी पत्रकारिता को पिछले छह दशकों में विभाजित किया. उन्होंने बताया कि पहला भाग स्वाधीनता से पूर्व का है जिसे ‘प्रहार काल’ कहा जाता है. उन्होंने कहा कि इस समय में ब्रिटिश सरकार तथा समाज में प्रचलित गलत परंपराओं पर प्रहार किया गया और राष्ट्रभक्त पत्रकार और संपादकों ने इस में बढ़ चढ़कर भाग लिया. इनमें लोकमान्य तिलक, गोपाल गणेश आगरकर आदि का योगदान महत्वपूर्ण होने की बात भी डा गव्हाने ने बताई.
उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र के निर्माण के पश्चात मराठी पत्रकारिता फूली- फली. उन्होंने कहा कि 1960 से 1980 के बीच का दौर मराठी पत्रकारिता के लिए काफी अच्छा रहा. इस दौरान समाचार पत्रों ने प्रगति की. नानासाहेब परुलेकर ने शुरू किए हुए दैनिक सकाल, यशवंतराव चौहान के प्रयासों से शुरू हुए विशाल सयाद्री, महाराष्ट्र टाइम्स, नवाकाल, लोकसत्ता, नवशक्ति जैसे समाचार
पत्रों ने इस काल में काफी उन्नति की. मुंबई तथा मुंबई के बाहर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों ने भी काफी विकास किया. नागपुर के दैनिक तरुण भारत तथा विदर्भ संभाग से प्रकाशित होने वाले दैनिक लोकमत, दैनिक नागपुर पत्रिका, हितवाद ने भी काफी प्रगति की.
डा गव्हाने ने कहा कि 1970 से 1980 तथा 1980 से 1990 के काल में महाराष्ट्र में जिला स्तरीय समाचार पत्र बड़ी संख्या में देखने को मिले. इन अखबारों ने अपने संभाग के स्थानीय समस्याओं को प्रकाशित कर जनता में जागृति भी निर्माण की और सरकार तक भी इन प्रश्नों को पहुंचा कर उन्हें हल करने का महत्वपूर्ण काम किया. सोलापुर के दैनिक संचार, नासिक से प्रकाशित होने वाले दैनिक गावकरी, कोल्हापुर के दैनिक सत्यवादी, दैनिक पुढारी, दैनिक संदेश तथा धुले से प्रकाशित होने वाले दैनिक आपला महाराष्ट्र ईन समाचार पत्रों का उल्लेख विशेष तौर पर किया जा सकता है.
मराठी पत्रकारिता में संपादकों के काम पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि दैनिक लोकसत्ता के संपादक ह रा महाजनी, माधवराव गाडगिल, महाराष्ट्र टाइम के संस्थापक संपादक द भ कार्निक, गोविंद तलवलकर और उनके पश्चात के समय में कुमार केतकर, भरत कुमार राऊत, नवशक्ति के संपादक प्रभाकर पाध्ये, दैनिक सकाल के नानासाहेब परुलेकर आदि संपादकों ने पत्रकारिता के मानदंड निर्माण किए. इन संपादकों ने मराठी पत्रकारिता को नई दिशा दी तथा विकासात्मक पत्रकारिता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
लोकसत्ता, लोकमत, महाराष्ट्र टाइम्स जैसे दैनिकों ने विभिन्न विभागीय स्तर पर अपने संस्करण प्रकाशित करना शुरू किए. इन समाचारपत्रों के विस्तार के साथ ही विभिन्न संभागों के प्रश्न अखबारों में उठाए गए और सरकार में भी ऐसी सभी समस्याओं को हल करने के प्रयास किए. डा गव्हाने ने यह भी बताया कि विदर्भ के आंदोलन के समय उस संभाग के दैनिक समाचार पत्रों ने अच्छा कार्य किया. विदर्भ के साथ ही मराठवाडा खानदेश और कोंकण जैसे पिछड़े संभागों के प्रश्न भी समाचार पत्रों ने उठाते हुए विकासात्मक भूमिका अदा की. इसके कारण कई प्रश्न हल हुए और विकास को गति प्राप्त हुई. उन्होंने कहा कि जैसे -जैसे पिछड़े प्रदेश विकसित होते गए, वैसे-वैसे विकास को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र के दैनिकोंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
1980 से 2000 के बीच मराठी पत्रकारिता के विकास का काल रहा, जबकि 2000 से 2020 के बीच मराठी पत्रकारिता में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण विकास देखने को मिला. इस पर भी डा गव्हाने ने प्रकाश डाला. मराठी भाषा के साहित्य -संस्कृति, नाटक. कला जैसे क्षेत्रों में पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की बात बताते हुए उन्होंने कहा कि मराठी परंपरा को लेकर मराठी समाचार पत्रों ने रविवार को विशेषांक के माध्यम से लोगों तक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक जानकारी पहुंचाई और लोगों को प्रोत्साहित करने में भी उल्लेखनीय कार्य किया. उन्होंने नई पीढ़ी के पत्रकार, संपादकों से प्रजातंत्र का रक्षण करने की अपील करते हुए कहा कि वह हमेशा महाराष्ट्र की प्रगति को लेकर किसी भी भूमिका का समर्थन करें.