समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 अगस्त। डोगरी भाषा की पहली आधुनिक महिला कवयित्री पद्मश्री से सम्मानित पद्मा सचदेव का 81 साल में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। सचदेव का जन्म 1940 में जम्मू के पुरमंडल इलाके में संस्कृत के विद्वान प्रोफेसर जय देव बडू के घर में हुआ था। उन्होंने डोगरी और हिंदी में कई किताबें लिखीं और ‘मेरी कविता मेरे गीत’ सहित उनके कविता संग्रह ने उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता।
पद्मा सचदेव को 2001 में देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म श्री मिला और उन्हें सम्मानित किया गया। 2007-08 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कबीर सम्मान दिया गया था. सचदेव ने 1973 की हिंदी फिल्म “प्रेम पर्वत” और ‘मेरा छोटा सा घर बार’ के गीत भी लिखे. उन्होंने 1978 की हिंदी फिल्म “आंखों देखी” के लिए दो गीतों के बोल भी लिखे, जिसमें मोहम्मद रफी और सुलक्षणा पंडित द्वारा गाया गया प्रसिद्ध युगल गीत “सोना रे, तुझे कैसे मिलन” भी शामिल है।
बता दें कि पद्मा सचदेव ने ऑल इंडिया रेडियो, जम्मू और मुंबई के साथ काम किया और गायक सुरिंदर सिंह से शादी करने के बाद नई दिल्ली और मुंबई में शिफ्ट हो गईं थीं। जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के अतिरिक्त सचिव अरविंदर सिंह अमन ने यहां सचदेव के लिए शोक सभा आयोजित की, जिसमें ” डोगरी साहित्य के जनक” को श्रद्धांजलि दी गई।
पद्मा सचदेव अपनी मातृभाषा से जनून की हद तक प्यार करती थी। डोगरी भाषा, डोगरी साहित्य डोगरी संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने में इनका योगदान सराहनीय रहा है। डोगरी को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए हुए संघर्ष में हमेशा कंधे से कंधा मिला कर चलती रही।
उन्होंने अपना साहित्यिक सफर बेशक कविता से किया पर कहानी, उपन्यास आत्मकथा, अनुवाद से लेकर लगभग हर विधा में खूब लिखा।उनका एक मासत्र उद्देश्य डोगरी को शिखर पर ले जाना था। जम्मू वालों को उनसे हमेशा बड़ी बहन का प्रेम मिला। इसी लिए अधिकतर लोग उन्हें जहां भी मिलते बोबो बड़ी बहन कर संवोधित करते और वह भी दिल से हर डोगरे से बड़ी बहन की तरह ही मिलती थी।उन्हें डोगरी पहली आधुनिक कवयित्री भी कहा जाता है।डोगरी के साथ-साथ उन्होंने हिन्दी में भी लिखी थी।