समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 सितंबर। पूर्णिमा के बाद आने वाली त्रयोदशी को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और अमावस्या के बाद आने वाली त्रयोदशी को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक एक माह में दो बार प्रदोष व्रत आते हैं. एक प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में आता है तो दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में आता है. इस दिन भगवान शिव और शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है. इस बार शनि त्रयोदशी 4 सितंबर 2021 को पड़ रही हैं।
शनि त्रयोदशी 2021 तिथि
शनि त्रयोदशी 4 सितंबर को
भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ – 08:24 ए एम, सितम्बर 04
समाप्त – 08:21 ए एम, सितम्बर 05
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति पर शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है और संतान की प्राप्ति होती है. निसंतान दंपत्तियों को शनि प्रदोष व्रत करने का विशेष लाभ होता है.
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. अगर संभव है तो व्रत करें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें. भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें. इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान शिव को भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान शिव की आरती करें. इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।