अलीगढ़ से पीएम मोदी का जाट,ओबीसी और मुस्लिम वोटरों को साधने का प्रयास

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संदीप ठाकुर

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव का मंच सजने लगा है। आज एक मंच अलीगढ़ में सजा था। मौका था राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के शिलान्यास का। शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। राजनीति के परिपक्व खिलाड़ी माेदी ने मंच का भरपूर फायदा उठाते हुए चुनावी अभियान का आगाज कर दिया। पीएम के भाषण से उत्तर प्रदेश की जातिगत राजनीति गरमा गई। पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान, वेस्ट यूपी, किसानों, जाट, मुसलमान और ओबीसी हर एक वोट बैंक को साधने का प्रयास किया। उन्होंने हर किसी को खुद से कनेक्ट करने की भी कोशिश की। कोशिश कितनी कामयाब होगी यह तो अगले साल होने वाले चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।

आज अलीगढ़ में मोदी के हाथों विश्वविद्यालय का शिलान्यास करवा भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। जिस राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर नामकरण किया गया है वे जाट समुदाय से थे। उनके नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रख जाट वोट बैंक काे साधने का प्रयास किया गया है जिनका प्रदेश की 100 से अधिक सीटों पर प्रभाव है। दूसरा सत्ताधारी दल भाजपा ने यह जताने का भी प्रयास किया है कि पिछली सरकार ने देश की ऐसी महान विभूतियों को भुला दिया था और अब उन गलतियों को सुधारा जा रहा है। पीएम मोदी ने जाटों और किसानों के महापुरुष चौधरी चरण सिंह का जमकर गुणगान किया। मोदी ने वेस्ट यूपी में 2017 से पहले हो रहे अपराध का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि एक दौर था जब यहां का शासन-प्रशासन, गुंडों और माफियाओं की मनमानी से चलता था। मोदी ने किसान आंदोलन से बीजेपी को हो रही क्षति को पूरा करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि किसानों के खातों में एक लाख करोड़ से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं। यूपी में बीते चार सालों में एमएसपी पर खरीद में नए रिकॉर्ड बने हैं। गन्ना भुगतान की समस्याओं को कम किया जा रहा है। यूपी के गन्ना किसानों को एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है।

जाट और किसान के साथ साथ मोदी ने अपने संबोधन से पूरे ओबीसी समुदाय और मुस्लिमों को भी साधने की कोशिश की। पीएम मोदी ने जाट राजा की बात करते हुए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का भी जिक्र कर दिया। हाल ही में उनका निधन हो गया था। कल्याण सिंह अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढौली गांव के ही रहने वाले थे।किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में बीजेपी मुस्लिम और जाट समीकरण को हल्के में लेना नहीं चाहती। जाट राजा के नाम पर विश्वविद्यालय लाकर बीजेपी 102 सीटों को साधना चाहती हैं जहां यूपी विधानसभा चुनाव में जाट वोटरों का प्रभाव है। किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी यूपी में बीजेपी की लोकप्रियता में जबरदस्त कमी आई है। 2017 के विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी की 136 सीटों में से बीजेपी ने 102 सीटें जीती थीं। यहां पर लगभग 17 फीसदी वोट बैंक जाटों का है।

दरअसल बीजेपी के बारे में कहा जाता है कि वह बनिया और ब्राह्मणों की पार्टी है। अब भी इन दोनों जातियों के वोट उसे मिलते हैं। परंतु चुनाव जीतने के लिए इस बार भाजपा ने सबसे अधिक ओबीसी वोट बैंक पर ही फोकस किया है। यूपी के जातीय गणित पर गौर कीजिए। सर्वाधिक 40 प्रतिशत ओबीसी हैं। दलितों की आबादी 20.8 प्रतिशत है। तीसरे नंबर पर मुसलमान 19 फीसदी हैं।
12 प्रतिशत ब्राह्मणों की आबादी है। ठाकुर 8 फीसदी हैं। यानी सबसे बड़ी संख्या ओबीसी की है। कुछ महीने बाद यूपी का चुनावी समर बीजेपी ओबीसी वोटरों की मदद के बिना नहीं जीत सकती। इसलिए पीएम ने मंच से आज भाजपा के कद्दावर नेता और राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले अपने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को याद किया। दरअसल, कल्याण सिंह बीजेपी के लिए हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे हुआ करते थे।कल्याण सिंह बीजेपी के ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे जो ओबीसी समाज से थे। कल्याण सिंह लोधी समुदाय से आते थे, जिनकी आबादी सेंट्रल यूपी से पश्चिम यूपी तक फैली हुई है। पिछड़ों की आबादी में यादवों और कुर्मी के बाद तीसरे नंबर पर इसी जाति के लोगों की संख्या है। यादवों को भले ही सपा और दलितों को बसपा का पारंपरिक वोटर बताया जाता रहा हो पर बीजेपी की यह कोशिश होगी कि वह दूसरे ओबीसी समाज को अपनी तरफ कर ले। इसके साथ साथ पीएम ने अपने पिता के मुस्लिम दोस्त का किस्सा सुनाकर अलीगढ़ ही नहीं, प्रदेश के मुसलमानों को भी यह संदेश देने का प्रयास किया कि कोई कुछ भी कहे बीजेपी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास को ही ले कर चल रही है।

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