शनि प्रदोष व्रत: जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17सितंबर। प्रदोष व्रत हर माह में त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना की जाती है। वहीं शनि प्रदोष व्रत में शिव-पार्वती की पूजा के साथ-साथ शनि देव की भी पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत भगवान शिव के साथ चंद्रदेव से भी जुड़ा है।

शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद, शुक्ल त्रयोदशी
प्रारम्भ – 06:54 ए एम, सितम्बर 18
समाप्त – 05:59 ए एम, सितम्बर 19

प्रदोष व्रत की पूजा विधि-
इस दिन सूरज उगने से पहले स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण कर लें एवं व्रत का संकल्प करें। शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर अथवा घर पर ही बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें।
शिवजी की कृपा पाने के लिए भगवान शिव के मन्त्र ॐ नमः शिवाय का मन ही मन जप करते रहें। प्रदोष बेला में फिर से भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करने के बाद गंगाजल मिले हुए शुद्ध जल से भगवान का अभिषेक करें। शिवलिंग पर शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें एवं शिव चालीसा का पाठ करें।

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