भारत ही नहीं, दुनिया की आशा के केंद्र हैं नरेंद्र मोदी

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शंकर लालवानी
देश के स्वतंत्र होने के बाद के 72 साल में ऐसा पहली बार हुआ था, जब 2019 में लगातार दूसरी बार केंद्र में भाजपा नीत सरकार बनी थी। इससे पहले किसी गैर कांग्रेसी सरकार को यह अवसर नहीं मिला था। तब इस बात को भारत में भले ही उतना महत्वपूर्ण न समझा गया हो, किंतु विश्व समुदाय को इस पर अचरज हुआ था और उम्मीद भी जागी कि भारत में अब नये युग की शुरुआत हो रही है। यह युग कालांतर में निसंंदेह मोदी युग के नाम से जाना जायेगा। देश के प्रधानमंत्री के तौर पर एक तरफ जहां उन्होंने कीर्तिमान कायम किया, वहीं भारतीय जनता पार्टी के लिये गौरवमयी, ऐतिहासिक अवसर उपलब्ध कराया, जिसके माध्यम से मोदीजी और भाजपा जनता के सपनों को नये आयाम देने में जुटे हैं।
देश की राजनीति के इक्कीसवीं सदी में तकाजे पूरी तरह से अलग हो गये हैं । यह अधिक चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरी हो गई है। साथ ही जबरदस्त तरीके से पारदर्शी भी। जनता निरंतर जागरूक हो रही है और जन प्रतिनिधि को यूं आड़े हाथों ले लेती है, जैसे उनके परिवार का सदस्य हो। इसमें कई बार विसंगतिपूर्ण स्थिति भी बनती है, लेकिन भारतीय लोकतंत्र की यही खासियत है कि वह गली-मोहल्ले की सरकार से लेकर तो देश की सरकार तक पारिवारिक संरचना की तरह गूंथी रहती है। नरेंद्र मोदी इस संरचना के होनहार, जिम्मेदार, कर्मठ और समर्पित मुखिया का निर्वाह कर रहे हैं। ऐसा लगता है, भारत अब सर्वथा नये सोच, नये जोश और नई उमंग के साथ दुनिया में अपनी पहचान कायम करता जा रहा है और देश को उस दिशा में ले जा रहा है, जहां से वह निरंतर आगे की ओर छलांगे मारता रहेगा।
दरअसल, नरेंद्र मोदी की कार्य शैली आत्म मुग्धता से मुक्त एक योगी की तरह है, जिसके लिये जन ही असल धन है और उस धन को सहेजना, संरक्षित करना और सुदृढ़ बनाना उनका ध्येय है। विपक्ष और प्रचार माध्यमों में अक्सर एक बात सामने आती रहती है कि नरेंद्र मोदी जी का एकमात्र लक्ष्य प्रधानमंत्री बनना था, जो वे बन गए, तो मैं कहना चाहूंगा कि वे गलत सोचते हैं। यदि आप किसी खेल, व्यापार, राजनीति, उद्योग-धंधे में या विद्यार्थी हैं तो हमेशा सबसे आगे रहना चाहेंगे। ऐसे में यदि कोई राजनीति में है तो मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बनना उसका सपना हो सकता है। तो उसमें गलत या बुरा क्या है? जबकि मोदीजी की सोच में ऐसा कुछ भी रत्ती भर नहीं रहा होगा। वे तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निष्काम सेवक थे, जो राष्ट्र निर्माण के पथ पर अनथक चलते रहे हैं। राजनीति में भी वे आये तो एक महती जिम्मेदारी के निर्वाह के लिये। जिस देश में एक परिवार विशेष में बच्चा पैदा होने पर उस परिवार के राजनीतिक समर्थक उसे भावी प्रधानमंत्री घोषित कर देते हों, वहां एक साधारण परिवार से निकलकर समाज,देश और अपने दल के काम के लिए समर्पित रहने वाला, पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाकर प्रधानमंत्री बन जाता है तो अनुचित क्या है?
देश देख रहा है कि भारत में अरसे बाद उच्च आदर्श मूल्यों पर चलने वाला व्यक्ति शीर्षस्थ पद की जिम्मेदारी निभा रहा है। मोदीजी कभी अपने को सत्ता के पूजारी नहीं मानते। वे मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्रजी के छोटे भाई भरत की तरह अपने को सेवक मानते हैं, जिसने रामजी के खड़ाऊ रखकर राज्य का संचालन किया था। मोदीजी के लिये इस देश की डेढ़ अरब जनता प्रभु श्री राम की तरह है और उनकी मंशा के अनुरूप ही राजधर्म का पालन कर रहे हैं। वे निस्पृह भाव से राष्ट्र-राज्य की जिम्मेदारी का पालन कर रहे हैं। उनकी चिंता समग्र राष्ट्र, यहां के बाशिंदे होते हैं। धर्म,जाति,वर्ग से परे वे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिये अपने को मात्र सेवक की भूमिका में देखते हैं। यही वजह रही कि देश ने 2014 में भाजपा को सत्ता सौंपने के बाद एक बार फिर से 2019 में न केवल उस विश्वास को बरकरार रखा, बल्कि उसमें बढ़ोत्तरी भी की।
मैं यहां अनेक ऐसी सरकारी योजनायें गिनवा सकता हूं, जो 2014 से अभी तक लागू हुईं और जिसका भरपूर लाभ वास्तविक पात्रों,हितग्राहियों को मिला, लेकिन वह तो सरकार का मूल दायित्व ही होता है। उसे गिनाना कैसा? मूल बात यह है कि एक ओर जहां देश के लोगों के बीच मोदीजी और भाजपा के प्रति अतिशय विश्वास का माहौल सुदृढ़ हुआ तो दूसरी ओर दुनिया ने बेहद उम्मीद और भरोसे के साथ भारत की ओर देखा। उसके नेतृत्व को सराहा और जन कल्याण के साथ-साथ विश्व कल्याण की भारतीय नेतृत्व की भावनाओं को सराहा। जब-जब भी ऐसा मौका आया कि मोदीजी को विश्व समुदाय के बीच बुलाया गया तो अरसे बाद इस पुण्य सलिला भूमि के मानस पुत्र नरेंद्र मोदी को यथोचित मान-सम्मान प्रदान किया गया।
वे मोदीजी ही हैं, जिनके नेतृत्व में एक तरफ सेना का गौरव बढ़ा,उनके संसाधनों मे बढ़ोत्तरी हुई, उनकी सेवा-सुविधाओं में सम्मानजनक सुधार हुआ। दुश्मनों के हौंसले पस्त हुए, आतंकी गतिविधियां नियंत्रण में आईं,पड़ोसी मुल्कों में सताये जा रहे भारतीय मूल के लोगों के सम्मानपूर्वक लौटने का मार्ग प्रशस्त हुआ,संयुक्त राष्ट्र परिषद की अध्यक्षता का मौका मिला,देश मेें कारोबार के अनुकूल माहौल का निर्माण हुआ। साथ ही इस इक्कीसवीं सदी की महानतम उपलब्धि के तौर पर भारत ने कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिये विकसित देशों से भी आगे जाकर ससमय टीके का निर्माण कर दुनिया में अब तक सर्वाधिक 75 करोड़ टीके लगाए साथ ही सबसे तेजी से टीके लगाने का भी कीर्तिमान कायम किया और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद करीब सात करोड़ टीके उन मुल्कों को उपलब्ध कराये,जो जरूरतमंद थे, लेकिन खुद बना नहीं सकते थे। इस व्यापक टीकाकरण के भरोसे ही हम तीसरी संभावित लहर से निपटने के लिये चाक-चौबंद हो चुके हैं।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के महामंत्र के साथ आगे बढ़ रही सरकार के बारे में मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी के नेता के तौर पर तो निश्चित ही दल की भावी पीढ़ी के लिये आदर्श और मार्गदर्शक साबित होंगे, साथ ही इससे बढक़र वे नये,दृढ़,आत्म निर्भर,विश्व गुरु,विकसित और वसुधैव कुटुंबकम के जीवन मूल्यों की महत्ता को मानने वाले भारत के निर्माता के तौर पर भी युगों-युगों तक याद किये जाएंगे।
(लेखक इंदौर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं)

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