इंद्र वशिष्ठ
हत्या, जबरन वसूली के अपराध में जेल में बंद बदमाशों को भी अब मौत से डर लगने लगा है।
बदमाशों को पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मार दिए जाने का डर सताने लगा है। जान बचाने के लिए वह अदालत में गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें
हथकड़ी और बेडियों में जकड़ दिया जाए।
बदमाश लॉरेंस विश्नोई और संदीप उर्फ काला जठेड़ी भी हथकड़ी और बेड़ियां पहन कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
पटियाला हाउस अदालत के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा की अदालत में जठेड़ी ने अपनी जान की सुरक्षा के लिए गुहार लगाई। काला जठेड़ी ने कहा की उसे दिल्ली और किसी दूसरे राज्य में ट्रांजिट रिमांड पर और अदालत में पेशी के लिए ले जाए जाते समय हाथों मे हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां पहनाई जाए।
जठेड़ी को डर है कि पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर और अदालत में पेश करने ले जाते समय उसका फर्जी एनकाउंटर कर देगी और कह देगी, कि उसने भागने की कोशिश की थी। हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़े होने के कारण पुलिस ऐसा नहीं कर पाएगी।
अदालत ने जठेड़ी की मांग स्वीकार कर ली और पुलिस को ट्रांजिट रिमांड, प्रोडक्शन वारंट पर ले जाते समय उसकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने को कहा है।
काला जठेड़ी फिलहाल एक मामले में तिहाड़ से हरियाणा पुलिस ले गई है। काला जठेड़ी को स्पेशल सेल ने इस साल जुलाई में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से उसकी साथी अनुराधा चौधरी उर्फ रिवाल्वर रानी के साथ गिरफ्तार किया गया था।
लॉरेंस विश्नोई ने भी इसी तरह की गुहार पिछले साल चंडीगढ़, हाईकोर्ट में भी लगाई थी। तिहाड़ में बंद लॉरेंस विश्नोई और संपत नेहरा को भी हाल ही मेंं राजस्थान पुलिस जबरन वसूली के मामलों ले गई है।
अदालत में पेशी के समय दुश्मन गिरोह उनकी हत्या न कर दे, इसलिए बदमाश चाहते हैं कि वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से ही अदालत में सुनवाई हो।
जठेड़ी की हड्डियों में पानी भरा।
“डरा कर लोगों को वो जीता है जिसकी हड्डियों में पानी भरा होता है। मर्द बनने का इतना शौक है तो कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे कातिया।”
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फिल्म घातक में सन्नी देओल के इस डायलॉग का बदमाश संदीप उर्फ काला जठेड़ी से भी रिश्ता है।
काला जठेड़ी के एक वीडियो की शुरुआत इस डायलॉग से होती हैं। इस वीडियो में ओलंपियन सुशील और काला जठेड़ी के रिश्तों की गहराई का भी पता चलता है।
ओलंपियन पहलवान गुंडों के घर-
इस वीडियो में पुलिस की हिरासत में काला जठेड़ी और बंदूकधारी गुंडों की भरमार दिखाई गई है। सबसे चौंकाने वाला सीन ओलंपिक पदक विजेता सुशील की उसमें मौजूदगी का है। यह वीडियो सुशील और बदमाशों की गहरी सांठगांठ को साबित करता है। सुशील इसमें काला जठेड़ी के भाई के साथ मौजूद है। यह वीडियो काला जठेड़ी के भाई प्रदीप की शायद शादी के अवसर का है।
पुलिस ने बनाया वीआईपी-
इस वीडियो में पुलिस वाले काला जठेड़ी के साथ इस तरह से चल रहे हैं जैसे कि वह कोई वीआईपी है। एक सिपाही तो वहां हुक्का भी पी रहा है। काला सोनीपत में राई के कंगारू गार्डन में आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए जेल से आया था। काला के साथ वीआईपी जैसा व्यवहार करने वाले पुलिसवालों के खिलाफ आईपीएस अफसरों को कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसे पुलिस वालों के कारण ही पुलिस की बदनामी होती है और बदमाशों के हौसले बुलंद होते हैंं।
यह वीडियो काला जठेड़ी का महिमा मंडन करने और लोगों को डराने के इरादे से बनाया गया है। लेकिन इसमें जोडा गया फिल्मी डायलॉग तो उल्टा काला जठेड़ी को ही आईना दिखा रहा है। क्योंकि काला जठेड़ी तो खुद लोगों को डरा कर पैसा वसूलता है। इस डायलॉग के अनुसार तो काला जठेड़ी की हड्डियों में ही पानी भरा हुआ है और वह ही कुत्तों का सहारा लेकर, लोगो को डरा कर जीता है।
पुलिस की सांठगांठ –
ताकत के अहंकार में बंदूक के दम पर जीने वाले बदमाशों को एक बात नहीं भूलनी चाहिए कि वह इस भ्रम में न रहे कि वह अपने दम पर अपराध जगत में हैं। सच्चाई यह है कि कुछ बेईमान पुलिस वालों की सांठगांठ पर ही वह अपराध जगत मेंं है।
वरना पुलिस जिस दिन ठान लेती है तो बड़े से बड़ा बदमाश भी कुत्ते की मौत मारा जाता है।
भिखारी से भी गए बीते –
वैसे भी पैसे के लिए अपराध करने वाला बदमाश बहादुर नहीं, कायर ही होता है। किसी से जबरन वसूली करना बहादुरी नहीं भिखारी से भी निचले स्तर का काम होता है। भिखारी तो मजबूरी में भीख मांगता है।
कायरों की तरह छिप कर फोन पर धमका कर भीख सी मांगने वाले गुंडे बहादुर हो भी नहीं सकते। इसलिए लोगों को लूटने के बावजूद वह भिखारी ही बने रहते है। बहादुर हमेशा देने वाला यानी दाता ही होता है।
हिरासत से फरार-
एक फरवरी 2020 को गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर पुलिस वैन पर बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर काला जठेड़ी को पुलिस हिरासत से छुड़ा लिया था।
सुप्रीम कोर्ट – हथकड़ी लगाना असंवैधानिक।
सुप्रीम कोर्ट ने किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाने को अंवैधानिक कहा है। सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1978) 4 SSC 409 के केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस किसी व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगा सकती और अगर वह ऐसा करती है तो यह पूरी तरह से अंवैधानिक होगा और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 का उल्लंघन होगा।
अनुच्छेद 22 किसी व्यक्ति के मनमाने तरीके से गिरफ्तारी के निरोध के संबंध में है। किसी भी व्यक्ति की मनमानी तरीके से गिरफ्तारी नहीं होगी। जबकि अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संबंध में है। किसी व्यक्ति के प्राण और दैहिक स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
इसके अलावा भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंजनी कुमार सिन्हा बनाम स्टेट ऑफ बिहार 1992 के केस में कहा गया कि पुलिस किसी व्यक्ति को असीमित शक्ति का उपयोग करते हुए हथकड़ी नहीं लगा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर परिस्थितियां ऐसी हैं जिसमें बंदी का आचरण या चरित्र इस प्रकार है, जिसमें उसे हथकड़ी लगाने का युक्तियुक्त कारण है कि वह अभिरक्षा से भाग जाएगा या वह लोक शांति को भंग करेगा या वह हिंसा करेगा तो ऐसे में पुलिस उस व्यक्ति को हथकड़ी लगा सकती है। अगर बिना किसी कारण के किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाई जाती है यह उसके मूल अधिकार का हनन होगा।
इसके अलावा भी सुप्रीम कोर्ट ने अन्य केस में कई बार कहा है कि बिना किसी युक्तियुक्त कारण के किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाना असंवैधानिक है और अगर पुलिस किसी को हथकड़ी लगाना चाहती है तो उसे युक्तियुक्त कारण बताते हुए संबंधित न्यायालय से पूर्व अनुमति लेनी होगी।