समग्र समाचार सेवा
जिनेवा, 7अक्टूबर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आखिरकार आरटीएस, एस/एएस01 मलेरिया वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन मच्छर जनित बीमारी के खिलाफ विश्व का पहला टीका है। मलेरिया से एक वर्ष में दुनियाभर में चार लाख से अधिक लोगों की मौत होती है, जिनमें ज्यादातर अफ्रीकी बच्चे शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ ने यह निर्णय घाना, केन्या और मलावी में 2019 से चल रहे एक पायलट प्रोग्राम (प्रायोगिक कार्यक्रम) की समीक्षा के बाद लिया है। यहां वैक्सीन की 20 लाख से अधिक खुराक दी गई थीं, जिसे पहली बार 1987 में दवा कंपनी जीएसके द्वारा बनाया गया था।
बता दें कि वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ कई टीके मौजूद हैं, लेकिन यह पहली बार है जब डब्ल्यूएचओ ने मानव परजीवी के खिलाफ व्यापक उपयोग के लिए एक टीके की सिफारिश की है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है। बच्चों के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित मलेरिया वैक्सीन विज्ञान, बाल स्वास्थ्य और मलेरिया नियंत्रण के लिए एक सफलता है। मलेरिया को रोकने के लिए मौजूदा उपकरणों के शीर्ष पर इस टीके का उपयोग करने से हर साल हजारों युवाओं की जान बचाई जा सकती है। आज, डब्ल्यूएचओ दुनिया के पहले मलेरिया टीके के व्यापक उपयोग की सिफारिश करता है।
डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल मलेरिया प्रोग्राम के निदेशक पेड्रो अलोंसो ने कहा कि ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ी सफलता है। यह टीका प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ काम करता है, जो पांच परजीवी प्रजातियों में से एक और सबसे घातक है।
उप-सहारा अफ्रीका में मलेरिया, बच्चों की बीमारी और मृत्यु का प्राथमिक कारण बना हुआ है। पांच साल से कम उम्र के 2,60,000 से अधिक अफ्रीकी बच्चों की सालाना मलेरिया से मौत हो जाती है।
मलेरिया के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, बुखार और पसीना आना शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर दो मिनट में एक बच्चे की मलेरिया से मौत होती है।