समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9अक्टूबर। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में नवरात्रि की शुरुआती हो गई है और आज यानि 9 अक्टूबर को तीसरा नवरात्रि है। आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को राक्षसों का वध करने वाली देवी कहा जाता है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार की अर्धचंद्र सुशोभित है और इसलिए इन्हें मां चंद्रघंटा के नाम से पूजा जाता है। मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान हैं और इनके दस हाथ हैं। कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की भक्तिभाव से पूजा करने से मां खुश होकर अपनी कृपा बरसाती हैं।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं. इनके चार हाथों में कमल का फूल, धनुष, माला और तीर हैं. पांचवें हाथ में अभय मुद्रा है। जबकि अन्य चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है। दसवां हाथ वरद मुद्रा में रहता है। मां चंद्राघंटा भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
मां चंद्रघंटा के मंत्र
मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय कुछ भक्तों को दो मंत्रों का जाप कम से कम 11 बार करना चाहिए।
पहला मंत्र: पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
दूसरा मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां चंद्रघंटा की पूजा महत्व
मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप व बाधाएं ख़त्म हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है, इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया का भी विकास होता है। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, ये दिन ग्रे रंग से जुड़ा है क्योंकि ये बुराई को नष्ट करने के उत्साह और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। साथ ही, उनके माथे पर चंद्र-घंटी की ध्वनि उनके भक्तों से सभी प्रकार की नकारात्मक आत्माओं को दूर करती है।