लोकायुक्त संगठन में घमासान
मप्र लोकायुक्त संगठन में आजकल घमासान की स्थिति है। लोकायुक्त जस्टिस एन के गुप्ता और विशेष पुलिस स्थापना के बीच जबर्दस्त अविश्वास की स्थिति पैदा हो गई है। मामला जून 2020 से अगस्त 2021 के बीच (महानिदेशक संजय,राणा) के कार्यकाल में तृतीय और चतुर्थ कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के मामलों में खात्मा लगाने का है। लोकायुक्त जस्टिस गुप्ता ने इस अवधि में जितने भी खात्मे लगाए गए हैं, उन्हें कोर्ट से वापिस बुलाने के आदेश विशेष पुलिस स्थापना के महानिदेशक को दिए हैं। चर्चा है कि इन मामलों में भारी लेन-देन हुआ है। लोकायुक्त स्वयं इन पूरे प्रकरणों की समीक्षा करना चाहते हैं। 28 अक्टूबर तक सभी मामले कोर्ट से वापिस बुलाकर लोकायुक्त को सौंपने को कहा गया है। दूसरी ओर भोपाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता सतीश नायक ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर लोकायुक्त के इस आदेश को चुनौती दे दी है। वर्तमान लोकायुक्त और पूर्व महानिदेशक के बीच अविश्वास का बुरा असर पूरे प्रदेश से आने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पड़ रहा है। चर्चा है कि संभागीय लोकायुक्त कार्यालयों में कामकाज फिलहाल ठप्प सा हो गया है।
बंगला न मिलने का फ्रस्टेशन
मप्र के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को चार इमली में अपनी पसंद का बंगला न मिलना उनके बड़े फ्रस्टेशन का कारण बन गया है। मंत्रालय में इसकी चर्चा भी तेज हो गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के इस अधिकारी ने चार इमली में रिटायर आईएएस राधेश्याम जुलानिया के बी टाईप बंगले की मांग की थी। लेकिन सरकार ने यह शानदार बंगला इस आईएएस अधिकारी से छह साल जूनियर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को आवंटित कर दिया। मनपसंद बंगला न मिलने की टीस अधिकारी की कार्यशैली में साफ दिखाई दे रही है। वे अपने विभाग के छोटे अधिकारी और कर्मचारियों पर गुस्सा निकालते नजर आ रहे हैं। इस वरिष्ठ अधिकारी के फ्रस्टेशन की शिकायत मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री तक भी पहुंच गई है।
सचिन की सहमति या मजबूरी
बड़वाह के कांग्रेस विधायक सचिन बिड़ला के भाजपा में आने को लेकर एक ओर भाजपा के कई नेता इसका श्रेय लेने के लिए मैदान में कूंद गए हैं, दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि सचिन बिड़ला खुशी-खुशी भाजपा में आए हैं या उन्हें भाजपा में आने के लिए मजबूर किया गया है। बेशक सचिन बिड़ला मीडिया में आकर बयान दे रहे हैं कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन की है। लेकिन सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि सचिन बिड़ला विधायक के साथ साथ बिल्डर भी हैं और उनकी बनाई कालोनियों में अनियमितताओं को लेकर शिवराज सरकार ने इन काॅलोनियों पर शिकंजा कस दिया था। यह भी चर्चा है कि बिड़ला कीकॉलोनियों पर 15 करोड़ की रिकवरी निकाली गई थी। हालांकि इसके कोई दस्तावेज सामने नहीं आए हैं। इधर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर कमल पटेल और रुस्तम सिंह तक सचिन बिड़ला को भाजपा में लाने का श्रेय लेने में लग गये हैं।
मप्र में बढ़ सकती हैं महिला विधायक
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं के वोटों में पैठ करने “लड़की हूं लड़ सकती हूं” नारा देकर उप्र के अगले चुनाव में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा कर दी है। इसका असर मप्र सहित कई राज्यों में दिखाई देगा। अधिकांश राज्यों में कांग्रेस से महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट की मांग जोर पकड़ेगी। यदि उप्र की तरह मप्र में हुआ तो 2023 में कांग्रेस के टिकट पर कम से कम 92 महिलाओं का उतरना तय है। मप्र विधानसभा में पिछले चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तेजी से कम हुआ है। 2013 में मप्र में 31 महिलाएं विधायक बनी थीं। 2018 में मात्र 17 महिला विधायक चुनाव जीत सकीं। कांग्रेस ने यदि मप्र में महिलाओं पर दांव खेला तो मजबूरी में भाजपा को भी 25 प्रतिशत से अधिक टिकट महिलाओं को देनी होगी। तय है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या उम्मीद से अधिक बढ़ सकती है।
एमडी को हटाने मंत्री की मुहिम!
मप्र को रोशनी देने विभाग के मंत्री आए दिन चर्चा में रहते हैं। कभी बिजली के खम्बे पर चढ़ने को लेकर, कभी भैंस के साथ फोटो खिंचवाने को लेकर तो कभी सायकल की पंचर सुधारवाने को लेकर। लेकिन आजकल मंत्री अपने ही विभाग के एक एमडी को हटवाने की मुहिम को लेकर चर्चा में हैं। वैसे तो विभाग की पांचों बिजली कंपनियां मंत्री जी के अधीन है, लेकिन एक बिजली कंपनी जिसके तहत तीन संभाग आते हैं के एमडी मंत्री के आदेश निर्देश नहीं मान रहे। चर्चा है कि इस एमडी को हटाने मंत्री ने अभी तक मुख्यमंत्री को पांच पत्र लिख दिये हैं। लेकिन एमडी अंगद के पांव की तरह डटे हुए हैं। मंत्री को शिकायत है कि इन एमडी के रहते न तो कंपनी में कर्मचारियों की सुनवाई हो पा रही है और न ही राजस्व बसूली पर ध्यान दिया जा रहा है।
एक अफसर की भूल से हजारों परेशान
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रोक्यूरमेंट विभाग की उप महाप्रबंधक की एक गलती से न केवल आउटसोर्स के लगभग 10 हजार कर्मचारी बोनस के लिये आन्दोलित हैं, बल्कि कंपनी को भी 80-85 करोड़ की चपत लगने वाली है। हाईकोर्ट के आदेश पर कंपनी ने एक दर्जन आउटसोर्स कंपनियों को ब्लैक लिस्टेट कर दिया। कंपनी के प्रोक्यूरमेंट विभाग ने छह माह पहले जल्दीबाजी में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिये टेंडर बुला लिये और मात्र 5 प्रतिशत लाभ पर काम भी दे दिया। बोनस एक्ट के तहत 8.33 प्रतिशत बोनस देना भी जरूरी है। अब कर्मचारी बोनस के लिये आन्दोलन कर रहे हैं। जिससे कंपनी का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। यदि कंपनी को बोनस देना पड़ा तो 80- 85 करोड़ देने पड़ेंगे।
और अंत में…
ज्योतिरादित्य सिंधिया की बेहद नजदीक मानी जाने वाली पूर्व मंत्री इमरती देवी ने पृथ्वीपुर चुनाव के दौरान मीडिया को बयान दिया कि भाजपा का चुनाव प्रचार देखकर उनका खून सूख गया है। दरअसल जब इमरती देवी भाजपा के पक्ष में प्रचार करने पृथ्वीपुर पहुंची तो पूरे चुनाव क्षेत्र में उन्हें भाजपा के किसी बैनर पोस्टर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोटो दिखाई नहीं दिया। यह देखकर इमरती देवी बेहद दुखी हो गईं। उन्होंने अपने इस दुख को छुपाया नहीं और मीडिया से बातचीत में इस बात पर हैरानी व्यक्त की कि पूरे चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजर अंदाज क्यों किया गया? खबर है कि इमरती के बयान के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के फोटो वाले बैनर, पोस्टर क्षेत्र में लगाए गए हैं।