ऑनलाइन मोड में रिलीज हुई प्रसिद्ध कवि और आध्यात्मिक अभ्यासी पांडव चरण दास की मैग्नम ओपस, ‘भागवत कथामृत’

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समग्र समाचार सेवा
टोरंटो/रोड्स आइलैंड/लंदन/डबलिन/भुवनेश्वर/घोलपुर, 27 अक्टूबर। प्रख्यात कवि और आध्यात्मिक चिकित्सक पांडब चरण दास की मैग्नम ओपस, ‘भागवत कथामृत’ की दुनिया भर में ऑनलाइन रिलीज हाल ही में आयोजित की गई।

अतिथियों ने पुस्तक को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाकर सांकेतिक रूप से विमोचन किया। विद्या प्रकाशन इंक के दो निदेशक डॉ सुनंदा मिश्रा पांडा और डॉ तन्मय पांडा ने समारोह की कार्यवाही को सुचारू और निर्बाध क्रम में संचालित और समन्वयित किया।

विशिष्ट अतिथियों ने कहा कि टोरंटो स्थित विद्या पब्लिशिंग इंक द्वारा प्रकाशित, इस पुस्तक में श्रीमद भागवत के 65 चुनिंदा अध्याय शामिल किए गए हैं। 73 वर्षीय लेखक श्री दास ने प्रभु के अद्भुत कृत्यों और अद्भुत आभा को एक सादे, सरल, अच्छे और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

पुस्तक के लेखक पांडव चरण दास का मानना है कि शास्त्र का पूरा खंड यानी भागवत केवल दो शब्दों के इर्द-गिर्द घूमता है: नम्रता और अहंकार। श्री दास ने कहा कि अहंकार को त्यागकर विनम्रता का पालन करने से परम आनंद और परम मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है। शिक्षाविद् जितेंद्र कर ने कहा कि श्री दास के असाधारण लेखन ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में मदद की।

स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए डॉ सुनंदा मिश्रा पांडा ने कहा कि मोह, आकर्षण, लोभ और घमंड की प्रवृत्ति को त्यागकर भगवान के सामने पूर्ण समर्पण ही भागवत दर्शन का मूल आधार है। डॉ तन्मय पांडा ने कहा कि विद्या पब्लिशिंग इंक का एकमात्र लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में ओडिया भाषा, साहित्य और संस्कृति की विशिष्टता स्थापित करना है।

अपने भाषण में माननीय अतिथि डॉ प्रसन्ना पटसानी ने लेखक पांडब चरण दास की रचनात्मक उत्कृष्टता की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने पौराणिक कथाओं, लोकाचार, परंपरा, धर्म और आध्यात्मिक धारणाओं पर अपने गहन और व्यापक लेखन के साथ उड़िया साहित्य का एक नया क्षितिज खोला है।

प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ प्रदीप कुमार मिश्रा ने बताया कि भागवत मृत्यु के कठोर सत्य और मोक्ष के वास्तविक मार्ग के बारे में जागरूक करने की कहानी है। इसलिए भागवत का सार ओमनी की प्रबलता, अभ्यास, उपदेश और अनुभव होना चाहिए। कादंबिनी और कुनी कथा पत्रिकाओं के संपादक डॉ इतिरानी सामंत ने सभा को संबोधित करते हुए इस तथ्य पर जोर दिया कि रचनाकार द्वारा सृजन का असली इरादा तभी फलदायी हो जाता है, जब वह आम लोगों तक पहुंच जाए और समझ जाए।

आयरलैंड की लेखिका की बेटी श्रीमा रानी दास ने अपने पिता की एक कविता सुनाई। यूएसए के धीरेंद्र कर ने टिप्पणी की कि भागबत उड़िया जाति, साहित्य और गौरव की पहचान है। लेखिका की बहू जीलू दास का विश्वास है कि उनके ससुर हमेशा सत्य, न्याय और विश्वास के मार्ग पर चलते रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका से चंद्र मिश्रा, बहरीन से सुभाष साहू, मुंबई से धर्मेंद्र कर और बेंगलुरु से प्रदीप कुमार साहू लेखक और प्रकाशकों के महान प्रयासों के पूरक हैं। लंदन से डॉ जयश्री नंदा ने बताया कि श्री जगन्नाथ सोसाइटी, यूके द्वारा स्थापित भागबततुंगी का काम प्रत्येक उड़िया घर में पवित्र भागबत के पवित्र संदेशों तक पहुंच सुनिश्चित करना है।

शुरुआत में KIIT और KISS के संस्कृति निदेशक डॉ अबंतिका पटनायक ने वेद के भजनों का जाप किया। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन श्री जगन्नाथ सोसाइटी, यूके और टोरंटो स्थित कान्सा कल्चरल सेंटर द्वारा संचालित भागबत तुंगी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। अक्षय मोहंती ने सभी को धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर मुंबई की शानदार प्रतिभाशाली गायिका अमृता भारती और भुवनेश्वर के प्रसिद्ध गायक कैलाश वैष्णब ने भक्ति गीतों की अपनी शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उपस्थित प्रमुख हस्तियों में बसंत कुमार पांडा, डॉ. प्रकाश डे, सुशांत कुमार पट्टू, दीप्ति रंजन नंदा, रोज़लिन पटसानी मिश्रा, सुश्री मोहंती, सुभद्रा दास, भारत भूषण दास और विभूति भूषण दास शामिल हैं। कई देशों से बड़ी संख्या में एनआरओ और भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के साथ-साथ सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से आभासी कार्यक्रम देखा।

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