समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9नवंबर। छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है, यह त्योहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मुख्य तौर पर मनाया जाता हे. वहीं अब देशभर के कई हिस्सों में इसका प्रचलन शुरू हो गया है। छठ पूजा में सूर्य देवता का पूजन किया जाता है और यह पर्व 4 दिनों तक चलता है। आज यानि 9 नवंबर को छठ पर्व का दूसरे दिन है और इसे खरना कहा जाता है। खरना के दिन भी व्रती पूरे दिन व्रत करते हैं और छठी मैया का प्रसाद तैयार करते हैं. आइए जानते हैं खरना का महत्व और इस दिन किस तरह की तैयारियां की जाती हैं?
खरना के दिन व्रती दिन भर निर्जला व्रत करते हैं और इस दिन छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है। इस दिन गुड़ की खीर बनती है और खास बात है कि यह खीर शाम को मिट्टी के चुल्हे पर तैयार की जाती है। शाम को पूजा के बाद गुड़ की खीर का प्रसाद पहले व्रती ग्रहण करते हैं और इसके बाद इसे सभी में बांटा जाता है।
छठ पूजा के दौरान खरना के दिन भी सूर्य भगवान का पूजन किया जाता है और इसके अगले दिन भक्त सूर्योदय से पहले नदी, घाट या तालाब पर पहुंचते हैं और दिन भर पानी में खड़े रहते हैं. इसके बाद सूर्यादय के दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर शाम को सूर्यास्त के समय भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस व्रत में महिलाएं सूर्य देवता के डूबने के इंतजार में छठी मैया के गीत भी गाती हैं. छठ के पर्व की रौनक हर तरफ देखी जा सकती है. सूर्य डूबने पर व्रती पीतल के कलश में दूध और जल से सूर्य को अर्घ्य देते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं।