मध्यप्रदेश डायरी- रवीन्द्र जैन

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Ravindra Jain
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* वैराग्य की राह पर आईएएस
मप्र के 2005 कैडर के आईएएस राहुल जैन अपने पिता की तरह वैराग्य के रास्ते पर आगे बढ़ने लगे हैं। अपने जीवन के रूपांतरण के लिए राहुल जैन ने इस सप्ताह जैनसंत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज से कई कठोर नियम ले लिए हैं। इनमें रात्रि भोजन का त्याग, प्रतिदिन देव दर्शन, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन और सप्त व्यसन का त्याग आदि शामिल हैं। इन नियमों के साथ आचार्यश्री ने राहुल जैन को अपनी पिच्छिका भी प्रदान की है। जैनसंत मोर पंखों से बनी पिच्छिका को संयम के उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं। चातुर्मास के समापन पर यह पिच्छिका ऐसे भक्त को दी जाती है जो इसे घर में रहकर जैनसंत जैसी साधना कर सकें। राहुल जैन के पिता मणि जैन बैंक में अफसर रहे हैं। रिटायर होने के बाद वे आचार्यश्री के आशीर्वाद से देशभर में 300 गौशालाओं का संचालन कर रहे थे। पिछले दिनों जबलपुर में उन्होंने आचार्यश्री से क्षुल्लक दीक्षा लेकर गृह त्याग कर दिया है। अपने पिता की तरह ही राहुल जैन भी आचार्यश्री के आशीर्वाद से वैराग्य की ओर बढ़ने लगे हैं।

* मुंह छुपाते आईएएस !
मप्र के एक प्रमोटी आईएएस आजकल रिश्वत की रकम वापस मांगने वालों से मुंह छुपाते घूम रहे हैं। वे आफिस में कम ही पहुंच रहे हैं। दरअसल यह आईएएस जल्दी ही रिटायर होने वाले हैं। इन्होंने अपने विभाग में ठेकेदारों व दलालों के जरिये जमकर माल कमाया है। अफसर ने रिटायर होने से पहले बहुत से कामों के नाम पर ठेकेदारों और दलालों से लाखों रूपये एडवांस ले लिये। विभाग के मंत्री को भनक लगी तो उन्होंने अफसर की सभी फाइलें अटका दी हैं और इसकी जानकारी ऊपर तक दे दी है। इधर काम न होने पर ठेकेदार और दलाल अपनी रकम वापस मांगने दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। अफसर कभी गृह नगर जाने तो कभी व्यक्तिगत काम में व्यस्त होने का बहाना कर बहुत कम दफ्तर पहुंच रहे हैं। वे इन ठेकेदारों व दलालों के फोन भी रिसीव नहीं कर रहे। कुछ ठेकेदारों व दलालों ने मंत्री जी का दरवाजा भी खटखटाया है। यह मामला कुछ नया गुल खिला सकता है।

* बिना आदेश बधाइयों का तांता
पिछले महिने रिटायर हुए एक आईएएस को मुख्यमंत्री का ओएसडी बनने की बधाइयों का तांता लगा हुआ है। अभी आदेश निकले नहीं और बधाइयों के इस सिलसिले से आईएएस असमंजस्य की स्थिति में हैं। न वे इंकार कर पा रहे हैं और न ही स्वीकार। दरअसल मंत्रालय में खबर है कि रिटायर आईएएस सीहोर में कलेक्टर और इसी क्षेत्र के संभागायुक्त रह चुके हैं। उनकी कार्यशैली से मुख्यमंत्री अच्छी तरह वाकिफ हैं। मुख्यमंत्री इन्हें ओएसडी बनाकर अपने गृह जिले सीहोर का प्रभार देने का मन बना चुके हैं। बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने आईएएस की मौखिक स्वीकृति भी ले ली है। लेकिन जब तक आदेश जारी न हो जाएं यह बधाइयाँ अधूरी ही हैं। इससे पहले मंत्रालय में एक आईएएस अधिकारी को लगातार एक महिने तक भोपाल संभागायुक्त बनने की बधाइयां मिलती रहीं। अधिकारी खुशी खुशी बधाई स्वीकार भी करते रहे, लेकिन जब संभागायुक्त के आदेश जारी हुए तो इस गुलशन बामरा बाजी मार गये।

*पोस्टिंग में भी आदिवासी एजेंडा
शिवराज सरकार ने शायद पहली बार आईएएस अधिकारियों की पोस्टिंग में आदिवासी एजेंडे का ध्यान रखा है। मालवा-निमाड़ में जय आदिवासी युवा संगठन(जयस) की सक्रियता के बाद शिवराज सरकार आदिवासियों को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रही है। जयस के प्रभाव को कम करने भाजपा और राज्य सरकार आदिवासियों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। जोबट विधानसभा उपचुनाव प्रचार के दौरान शिवराज सिंह चौहान को कई अनुभव हुए हैं। पिछले दिनों भोपाल और होशंगाबाद में संभागायुक्तों की नियुक्ति के समय शिवराज सिंह चौहान ने कम से कम एक संभाग में आदिवासी संभागायुक्त पदस्थ करने के निर्देश दिए। आईएएस अधिकारी की सूची सामने रखकर नाम तलाशा गया तो झाबुआ के मूल निवासी प्रमोटी आईएएस मालसिंह भयडिया पर जाकर यह तलाश पूरी हुई। 2006 बेच में मालसिंह भयडिया सबसे जुनियर हैं। इसके बाद भी राज्य सरकार ने उन्हें होशंगाबाद का संभागायुक्त पदस्थ कर दिया है।

* मंत्री-सांसद पर भारी फिल्मकार 
आखिर मप्र में हिन्दू विचारधारा के साथ साथ प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री और सांसद पर मुंबई के फिल्मकार भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। पिछले महीने भोपाल में जाने माने फिल्मकार प्रकाश झा अपने हिन्दी सीरियल आश्रम की शूटिंग कर रहे थे। हिन्दूवादी नेताओं ने पुराने जेल परिसर में चल रही शूटिंग का नारेबाजी कर विरोध किया और प्रकाश झा के चेहरे पर कालिख तक फेंक दी। इस घटना के बाद प्रदेश सरकार के एक बड़े मंत्री और भोपाल की सांसद भी प्रदर्शनकारियों के पक्ष में दिखाई दिए। मंत्री ने घोषणा कर दी कि मप्र में शूटिंग करने वालों को पहले स्क्रीप्ट चेक करानी होगी। इस पूरे प्रकरण के बीच प्रकाश झा पूरी तरह मौन रहे। उन्होंने मुंबई से दिल्ली तक अपने संपर्कों का ऐसा उपयोग किया कि कुछ घंटे में ही बगैर स्क्रीप्ट दिखाए उनके सीरियल आश्रम की शूटिंग इसी शहर में न केवल शुरू हो गई बल्कि प्रदर्शन करने वालों पर पुलिसिया शिकंजा भी कस गया। बताते हैं कि इस सीरियल के मुख्य कलाकार के बड़े भाई और उनकी सौतेली मां भाजपा से सांसद हैं। यही कारण है कि भाजपा नेतृत्व ने आश्रम के मामले में पांव पीछे खींच लिए हैं।

* चौथी हार से बचे अरूण यादव
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव लगातार चौथी हार से बाल-बाल बच गए हैं। ऐन टाईम पर उन्होंने पारिवारिक कारणों का हवाला देकर खण्डवा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। मात्र 47 साल की उम्र में अरूण यादव को इतना मिला है कि पूरे निमाड़ में उनके दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा हो गए हैं। पिता के निधन के बाद 2007 में राजनीति में आए अरूण यादव दो बार सांसद रहे, केन्द्र में मंत्री रहे और लगभग तीन साल से अधिक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इस दौरान बेशक उन्होंने पूरे प्रदेश में समर्थकों की टीम तैयार की, लेकिन उनके गृह क्षेत्र में ही कांग्रेस में उनका इतना विरोध बढ़ा कि अरूण यादव को खुद चुनाव लड़ने से इंकार करना पड़ा। अरूण यादव दो बार खण्डवा लोकसभा सीट से चुनाव हार चुके हैं। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने बुदनी से शिवराज सिंह के खिलाफ लड़ा और बुरी तरह हारे। इस बार खण्डवा संसदीय क्षेत्र में अरूण यादव के विरोधियों ने अरूण यादव को लगातार चौथी बार हराकर उनका राजनीतिक कैरियर बर्बाद करने की रणनीति बनाई थी। अरूण यादव ने इसे भांप लिया और चुनाव न लड़ने का निर्णय लेकर लगातार चौथी बार हारने के कलंक से बच गए।

* और अंत में…
दैनिक भास्कर और इंडिया टुडे जैसे मीडिया संस्थानों में अपनी धारदार कलम का लोहा मनवाने वाले दो पत्रकार आजकल मप्र में अलग-अलग भूमिकाओं को लेकर चर्चा में हैं। दैनिक भास्कर के चर्चित रिपोर्टर विजय मनोहर तिवारी को राज्य सरकार ने बेशक मप्र का सूचना आयुक्त बना दिया है, लेकिन उनका अधिकांश समय इतिहास, पुरातत्व महत्व और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा के लेखन में व्यतीत हो रहा है। तिवारी ने इतिहास की पुस्तकों की विकृतियों को लेकर भी कलम चलाई है। दूसरी ओर इंडिया टुडे के तेज तर्रार पत्रकार पीयूष बबेले ने भी दिल्ली छोड़कर भोपाल में डेरा डाल रखा है। मप्र कांग्रेस कार्यालय में उन्हें कक्ष आवंटित हो गया है। स्थानीय टीवी चैनलों पर कांग्रेस की ओर से कौन पक्ष रखेगा इसका निर्णय आजकल पीयूष बबेले कर रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का भाषण लिखने का काम भी बबेले कर रहे हैं। विजय मनोहर तिवारी और पीयूष बबेले दोनों ने किताबें लिखी हैं। तिवारी का लेखन संघ विचारधारा से और बबेले का लेखन कांग्रेस विचारधारा से मिलने के कारण ही इन दोनों पत्रकारों का उपयोग भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी तरह कर रहे हैं।

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