समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10नवंबर। हिंदु धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से तुलसी विवाह करने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है. तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन किया जाता है और हिंदु धर्म के अनुसार इस दिन से ही शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। यह भी मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और तुलसी विवाह कन्यादान के समान ही पुण्य देता है।
देवउठनी एकदशी और तुलसी विवाह तिथि
देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है. इस बार यह 14 नवंबर 2021 को सुबह 05:48 बजे शुरू होगी और 15 नवंबर 2021 की सुबह 06:39 बजे खत्म होगी. तुलसी विवाह 15 नवंबर 2021 को होगा. देवउठनी एकादशी के दिन व्रत करने वाली महिलाएं 15 नवंबर को दोपहर 01:10 से 03:19 बजे की बीच व्रत का पारण कर सकेंगी. तुलसी विवाह के अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं और ऐसे में जल्द से जल्द पूजा की तैयारियां शुरू कर दें।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
इस दिन तुलसी जी का विवाह शालीग्राम से किया जाता है और महिलाएं मां लक्ष्मी के नाम का व्रत रखती हैं. क्योंकि विष्णु जी को तुलसी अतिप्रिय है और शालीग्राम, विष्णु जी का ही रूप हैं. तुलसी विवाह के दिन सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की अराधाना करें और मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु को फल और फूल का भोग लगाएं. कहा जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरूर अर्पित करनी चाहिए. क्योंकि तुलसी दल के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते. शाम को विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें. एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता. इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही तुलसी जी और माता लक्ष्मी का भी पूजन किया जाता है. रात में तुलसी व शालीग्राम का विवाह रचाएं. इस विवाह में दान-दक्षिणा चढ़ाएं।