समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 नवंबर। आषाढ शुक्ल एकादशी को देव-शयन हो जाने के बाद से प्रारम्भ हुए चातुर्मास का समापन कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवोत्थान-उत्सव होने पर होता है. इस दिन वैष्णव ही नहीं, स्मार्त श्रद्धालु भी बडी आस्था के साथ व्रत करते हैं। प्रबोधिनी एकादशी को देव उठनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल देवोत्थान एकादशी का रविवार, 14 नवंबर 2021 को है।
देवोत्थान एकादशी समय
देवउत्थान एकादशी रविवार, नवम्बर 14, 2021 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 14, 2021 को 05:48 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 15, 2021 को 06:39 ए एम बजे
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 01:00 पी एम
देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि
1. इस दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें.
2. घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं. लेकिन धूप में चरणों को ढक दें.
3. इसके बाद एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, ऋतुफल और गन्ना रखकर डलिया से ढक दें.
4. इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाए जाते हैं.
5. रात में पूरे परिवार के साथ भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें.
6. शाम की पूजा में सुभाषित स्त्रोत पाठ, भगवत कथा और पुराणादि का श्रवण व भजन आदि गाया जाता है.fa
7. इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए.