समग्र समाचार सेवा
शिमला, 27नवंबर। हिमाचल प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारियों के लंबित मसले सुलझाने के लिए पीटरहॉफ शिमला में संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में छह साल बाद जेसीसी बैठक हो रही है। बैठक में मुख्य सचिव, सभी सचिव और विभागाध्यक्ष सहित हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी मौजूद हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने घोषणा करते हुए कहा कि एक जनवरी से 2016 से प्रदेश के कर्मचारियों को नए वेतनमान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश ने कर्मचारियों के बूते विकास के आयाम छूए हैं। हिमाचल में कर्मचारियों की संख्या अन्य राज्यों से ज्यादा है। कोरोना से प्रदेश की आर्थिकी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड से निपटना प्राथमिकता है। जमीनी स्तर पर योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई।
हिमाचल पहाड़ी प्रदेश है और यहां की समस्याएं भिन्न हैं। सभी विभागों में कर्मचारियों ने अहम भूमिका निभाई। पहली डोज में हिमाचल का पहला स्थान है और दूसरी डोज 90 फीसदी लोगों को लगा दी है। बदले की भावना को दूर कर सरकार ने माना की कर्मचारी हमारी रीढ़ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए करीब 50 फीसदी बजट खर्च होगा, अभी तक 42 प्रतिशत बजट खर्च होता है।
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कठिन परिस्थितियों में कर्मचारियों की जो मदद की जा सकती है वह कर रहे हैं। प्रतिशोध और बदले की भावना से हमने कभी भी काम नहीं किया। सत्ता में आते ही यह कहा था कि हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे। कर्मचारी सरकार की रीढ़ हैं। एनपीएस कर्मचारियों को अन्य पेंशन लाभ में निवेश की छूट दी है। विभाग में 27 हजार पदों को भरने की अनुमति दी है।
हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के नेताओं ने कहा कि पूर्व शांता सरकार ने कर्मचारियों की समस्याओं को समझा और जेसीसी का मंच देकर समस्याओं का समाधान किया गया। महासंघ अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर ने कहा कि वर्तमान सरकार ने कर्मचारियो़ं के मसले सुलझाने का आश्वासन ही नहीं दिया अपितु उनको सुलझाया भी गया। पूर्व कांग्रेस शासनकाल में कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया।
महासंघ ने छठे वेतन आयोग के तहत सरकारी कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान और भत्ते देने की मांग प्रमुखता से की है। कर्मचारियों का अनुबंध कार्यकाल घटाकर दो साल करने के मामले पर भी सरकार फैसला ले सकती है। अनुबंध कर्मचारी लंबे समय से यह मांग सरकार से उठा रहे हैं। अनुबंध कार्यकाल को भी वरिष्ठता सूची बनाने में गिना जाए।