त्रिदीब रमण
लालू जब रिम्स से छूट कर दिल्ली आए तो यहां वे अपनी बड़ी बेटी मीसा के घर में आकर रहने लगे। जहां चैबीसो घंटे उनकी निगरानी के लिए एक डॉक्टर और नर्स की तैनाती थी। उनका खान-पान भी बेहद स्ट्रिक्ट था। यह डॉक्टर ही तय करते थे कि लालू को क्या खाना है और क्या नहीं। जब बिहार में तारापुर और कुश्वेश्वर स्थान का उप चुनाव आया तो चुनाव के बहाने लालू पटना पहुंच गए, जहां उनके पुराने संगी-साथियों का जमावड़ा था। सो लालू ने दोस्तों की मंडली में बस अपने मन का किया। अपनी पसंद के समोसे-जलेबी, चाट और दही-बडे़ रोज उड़ाए। वे जिस चीज की डिमांड करते उनके शुभचिंतक तुरंत बाजार जाकर वह पैक करा ले आते, लालू के खान-पान का नियम भी टूट गया और जरूरी परहेज भी। वहां फिर से उनकी तबियत खराब होने लगी, सूत्र बताते हैं कि अब उनका परिवार इस बात पर विचार कर रहा है कि क्यों नहीं अब उन्हें आगे के इलाज के लिए लंदन या सिंगापुर ले जाया जाए। सिंगापुर इसीलिए कि वहां उनकी बेटी रोहिणी रहती हैं।
जयराम की छुट्टी कब होगी?
हिमाचल प्रदेश उप चुनाव में हुई करारी हार को भाजपा पचा नहीं पा रही। पार्टी ने अपने मंथन कवायद में इसके लिए भीतरघात और अति आत्मविश्वास को दोषी ठहराया है। भाजपा में ही एक वर्ग ऐसा है जो हार का ठीकरा भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा के मत्थे फोड़ रहा है, हिमाचल जिनका गृह प्रदेश है। भाजपा में सबसे ज्यादा मलाल जुब्बल कोटखाई सीट गंवाने का है जहां पार्टी को अपने ही सिपाही चेतन बरागटा की बगावत की कीमत चुकानी पड़ी। चेतन यहां सरकार के पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के पुत्र हैं जो अपने पिता की क्षेत्र की पूरी देखरेख का जिम्मा उठाते थे, पर पीएम मोदी ने एक नीतिगत फैसला लेते हुए साफ कर दिया कि इस चुनाव में दिवंगत नेता के किसी नजदीकी रिश्तेदार (पुत्र-पुत्री-पत्नी) को टिकट नहीं मिलेगा, क्योंकि भाजपा एक राजनैतिक पार्टी के तौर पर वंशवाद की परंपरा का वाहक नहीं बनना चाहती। इस फार्मूले में चेतन का टिकट कट गया और वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए, इससे यहां कांग्रेसी प्रत्याशी की राह आसान हो गई। अब भाजपा हाईकमान यहां के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की छुट्टी करना चाहता है, पर उसे ठाकुर का अब तक कोई विकल्प नहीं मिल पा रहा, ले-देकर अनुराग ठाकुर का नाम सामने आ रहा है पर इनके नाम पर पार्टी में सहमति नहीं बन पा रही है।