समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28नवंबर।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात की राजधानी गांधीनगर में अमूलफेड डेयरी के आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त 150 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाले मिल्क पाउडर प्लांट, बटर प्लांट, पैकेजिंग फिल्म प्लांट एवं ऑटोमेटिक रोबोटिक स्टोरेज व रेट्रीवाल सिस्टम का उद्घाटन किया। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अमूल को दूध सप्लाई करने वाली सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक प्रगतिशील महिलाओं को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल और अमूल के अध्यक्ष श्री शामलभाई बी पटेल समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आज यहां पर अमूल के विस्तार,विकास और अलग-अलग जगह पर अलग-अलग क्षेत्र में देश की और अमूल की खुद की ज़रूरत पूरी करने के लिए ढेर सारे कार्यक्रम रखे गए हैं। यहां मिल्क पाउडर प्लांट का लगभग 280 करोड रूपए की लागत से उद्घाटन हुआ और अब अमूलदेश का सबसे बड़ा मिल्क पाउडर उत्पादक बन चुका है। 85करोड़ रूपए की लागत से मक्खन के प्लांट का भी आज उद्घाटन हुआ है। अमूल के संचालन को सुगम बनाने के लिए ऑटोमेटिक रोबोटिक स्टोरेज व रेट्रीवाल सिस्टम, 23 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिकतम तकनीक के साथ आज यहां शुरू हुआ है। इसके साथ ही अमूल की पैकेजिंग की जरूरत को पूरा करने के लिए 50 करोड़ रूपए का एक संयंत्र भी यहां लगाया गया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि अमूल के सहकारिता आंदोलन का विश्लेषणकरने परइसमें तीन महत्वपूर्ण अंग हैं-पहला, दूध का उत्पादन करने वाली गुजरात के 18000 गाँवों की हमारी 36 लाख बहनें। दूसरा, इस दूध को उपभोक्ताओं तक पहुंचाना और स्वास्थ्यपूर्ण तरीके से दूध को अलग-अलग उत्पादों में बदलकर पहुंचाना, इसके लिए प्रसंस्करण की प्रक्रिया है और तीसरी प्रक्रिया इसके विपणन की है जो सीधे उपभोक्ता तक अंतिम उत्पाद पहुंचाती है। इन तीनों अंगों को मजबूत करने के कार्यक्रम आज यहां पर शुरु हुए हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इतने बड़े विशाल देश और जनसंख्या को सर्वस्पर्शीय, सर्वसमावेशी विकास से जोड़ना है तो कोई मॉडल काम में नहीं आ सकता।130 करोड़ की आबादी को एक साथ रखकरसभीतक विकास पहुंचाना और विकास की प्रक्रिया में सबको हिस्सेदार बनाना बड़ा कठिन काम है। दुनिया भर में अर्थतंत्र के कई बड़े मॉडल हैं जो छोटी आबादी के लिए तो ठीक हो सकता है लेकिन भारत की ज़रूरत के अनुसार कौन सा आर्थिक मॉडल फिट होगा, यह बहुत बड़ा विषय है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए इस मॉडल को परख लिया था कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में अगर सर्वस्पर्शीय, सर्वसमावेशी आर्थिक विकास का अगर कोई मॉडल हो सकता है तो केवल और केवल सहकारिता का मॉडल ही हो सकता है। इसी कारण मोदी जी ने भारत सरकार में सहकारिता मंत्रालय शुरू किया है और अब सहकारिता के माध्यम से देश के करोड़ों कृषि और इसके साथ जुड़ीसेवाओं से जुड़े हुए हमारे भाइयों, बहनों तक आर्थिक लाभ और अर्थ तंत्र को पहुंचानेका काम सहकारिता के माध्यम से शुरू हुआ है।
श्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता कोई नया विचार नहीं है। हमारे देश में इस विचार को 110 साल हो गए हैं और अगर अमूल की बात करें तो अमूल अपना 75वां वर्ष मना रहा है, सरदार पटेल जी और त्रिभुवनदास जी ने किसानों व मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए इसकी कल्पना की और देखते ही देखते 21 गांव से शुरू हुआ दूध का आंदोलन आज 36 लाख परिवारों तक पहुंच रहा है। 18000 गांवों में 18 ज़िला दूध संघ है। 18000 गांव में दूध मंडी है और 36 लाख परिवार इसमें योगदान देते हैं और पूरे देश की दूध की आवश्यकता को पूरा करने का काम आज अमूल कर रहा है। उन्होने कहा कि अमूल गुजरात के लिए गौरव है।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय बनाया तो कई लोगों ने कई सवाल खड़े किए कि यह मंत्रालय क्या करेगा। लेकिन मेरे लिए गौरव की बात है कि मुझे देश के पहला सहकारिता मंत्री बनने का मौका देश के प्रधानमंत्री ने दिया। मैं मानता हूं कि सहकारिता में न केवल देश के अर्थ तंत्र को नई गति देने की क्षमता है बल्कि देश के सभी लोगों को समृद्ध बनाने का मंत्र भी इसी क्षेत्र का है और अमूल इसका जीता जागता उदाहरण है। 36 लाख बहनें परिश्रम और पारदर्शिता के साथ एक साथ काम करें तो क्या हो सकता है, इसका उदाहरण हम लोगों के सामने हैं। आप कल्पना कर सकते हो कि कई ऐसी बहनें होंगी जो आज भी पढ़ना लिखना नहीं जानती होगी मगर उनके बैंक अकाउंट के अंदर एक लाख रूपए का चेक जमा होता है और सालाना 75-80 लाख रुपया जमा होता है। सहकारिता का मूलमंत्र यही है कि हो सकता है हमारी क्षमता कम हो सकता है, ज्यादा पढ़े लिखे नहों, हमारे पास ज्यादा पूँजी न हो, मगर हम संख्या में बहुत ज़्यादा हैं। अगर हम सब एकत्रित हो जाते हैं कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। आज जब 36 लाख बहनें एक साथ एकत्रित हो जाती हैं तो 53 हज़ार करोड रुपए का टर्नओवर अमूल का बन जाता है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रकार से महिला सशक्तिकरण का सबसे सफल प्रयोग है। जो महिला सशक्तिकरण के नाम पर एनजीओ चलाते हैं, उनसे मेरा अनुरोध है कि कोऑपरेटिव सोसाइटी चला लीजिए तो आप महिलाओं का ज्यादा सशक्तिकरण कर पाएंगे और यह अमूल ने करके दिखाया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि मेरी अमूल के सभी कर्ताधर्ताओं से एक विनती है कि देश में बहुत बड़ी समस्या है कि खाद के कारण हमारी भूमि बिगड़ रही है, उत्पादकता कम हो रही है। अब खाद उसी उत्पाद के अंदर इतनी ज्यादा मात्रा में है कि शरीर को भी बिगाड़ रही है, कैंसर भी हो रहा है और अलग-अलग प्रकार के रोग हो रहे हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रोडक्ट शरीर को भी बचाता है, भूमि को भी बचाता है, जल को भी बचाता है और उस दिशा में देश के किसानों को जाना पड़े। देश के किसान इस बात को समझते हैं, स्वीकारते हैं और बहुत सारे प्रगतिशील किसानों ने इसे स्वीकार किया है। ऑर्गेनिक खेती की ओरकुछ लोग चल पड़े हैं। परंतु सबसे बड़ी समस्या है कि उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिलता। ऑर्गेनिक गेहूं का उतना ही दाम मिलता है जितना खाद वाले गेहूं का मिलता है। जब देश और दुनिया में कई सारी ऐसी व्यवस्थाएं है जहां तीन गुना दाम उनको मिल सकता है मगर मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं है।लेकिन यह कठिन काम कभी ना कभी किसी ना किसी को शुरू करना ही पड़ेगा।ऑर्गेनिक उत्पाद की मार्केटिंग के लिए चेन बनाना, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना और उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाना, इस प्रकार की वैज्ञानिक तकनीक को विकसित करना। अगर यह कर लेते हैं तो आने वाले दिनों में ऑर्गेनिक दूधकी बात होने लगेगी। दुनियाभर के लोगों में मांग है विश्वसनीय ऑर्गेनिक खाद्य सामानकी,कोई कैंसर नहीं चाहता, कोई बीमारी नहीं चाहता और अब यह सिद्ध हो चुका है खाद के अति उपयोग के कारण हमारा शरीर ढेर सारे रोगों का घर बनता है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देसी गाय का उपयोग कर कुदरती खेती का जो प्रयोग गुजरात में हुआ है उसमें लगभग दो लाख से ज्यादा किसान इसके साथ जुड़ चुके हैं औरइसका बहुत अच्छा परिणाम मिला है।उत्पादन तो अनेक गुणा बढ़ा ही है, जल संरक्षण की क्षमता भी बढ़ी है और खाने में मिठास भी बढ़ी है।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के इस वर्ष को संकल्प का वर्ष घोषित किया है। हम आजादी के 75वें साल में हैं, 25 साल बाद आजादी की शताब्दी आएगी तब हर क्षेत्र में देश का कहां खड़ा होगा, उसका संकल्प करने का वर्ष है। अमूल के नियामक मंडल से भी मेरा अनुरोध है कि उन्हें भी 25 साल बाद अमूल की जब शताब्दी होगी तब अमूल कहांखड़ा होगा इसका संकल्प आज करना चाहिए। इसके आधार पर अमूल और सहकारिता का विस्तारीकरण और नए नए क्षेत्रों में प्रवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमूलयह कर सकता है और हमने देश में सहकारिता के ढेर सारे ऐसे सफल मॉडल देखे हैं। कोई गांव ऐसा नहीं है जहां इफ्को का बोर्ड नहीं होगा। बहुत कम लोगों को मालूम है कि इफ्को सहकारी संस्था है, कृभको भी सहकारी संस्था है। हाल ही में लिज़्जत पापड़ की एमडी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया, बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि यह सहकारी संस्था है। यह सारे सहकारिता के सफलता के जो मॉडल हैं इनकी संख्या बढ़ाने और ढेर सारे लोगों को सहकारिता की छतरी के नीचे लाने की जरूरत है। मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि सहकारिता आंदोलन में एक आदर्श कैसा हो सकता है यह प्रस्थापित करने का काम गुजरात ने किया है। देशभर के सहकारिता आंदोलन मेंगुजरात ने सबसे अच्छा सहकारिता का मूल्यांकन किया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि उन्हे जो संतोष सहकारिता आंदोलन के कार्यक्रम से मिला है वह कभी नहीं मिला। जब हम अनेक छोटे-छोटे लोगों को जोड़कर एक प्रचंड शक्ति का निर्माण होते हुए देखते हैं तब पता चलता है कि छोटे-छोटे लोगों की क्षमता क्या होती है और वह राष्ट्र के निर्माण में कितना बड़ा योगदान दे सकती है। 36 लाख बहनें इकट्ठा होकर 53 हज़ार करोड़ रूपएटर्नओवर का कारण बनती हैं तब मालूम होता है कि घर में काम करने वाली एक बहन की क्षमता क्या है।