पेड़ों की छांव तले 7वीं “बाल राष्ट्र गान- कविता” प्रतियोगिता सम्पन्न

आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर एक शाम राष्ट्र गीतों के नाम

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समग्र समाचार सेवा
गाजियाबाद, 29 नवंबर।  पेड़ों की छांव तले
संस्था के अंतर्गत “आजादी के रंग- बच्चों के संग” शीर्षक से बाल राष्ट्र गान एवं  देशभक्ति कविता वाचन  प्रतियोगिता सम्पन्न हुई । आज़ादी के 75वें अमृत महोत्सव के अवसर पर  आन लाइन और वास्तविक दोनों रूपों से पिछले तीन दिनो से वृहत स्क्रीनिंग को कवयित्री आरती स्मित ,पल्लवी मिश्रा , गीता गंगोत्री एवं शशि किरण ने किया । राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में राजकीय प्राथमिक विद्यालय वैशाली , बुद्धविहार वसुंधरा के साथ स्थानीय एवं अन्य प्रदेशों बिहार , झारखंड , महाराष्ट्र और कोलकाता  के 15 वर्ष से कम उम्र के विद्यार्थियों ने इसमें बढ़ कर हिस्सा लिया । 

वैशाली के वैभव भट्ट के स्वरचित गीत “देश का कर्ज चुकाने को हम अपना फर्ज निभाते हैं” को प्रथम स्थान मिला जबकि बोकारो स्टील सिटी झारखंड की मुक्ता सिंह को बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी के लिए तथा जफिया दिल्ली को ये काश मेरी ज़िंदगी में सरहद की कोई शाम आए एवं महाराष्ट्र से यशस्वी दहिया को उनके गीत जिसे देश से प्यार नहीं है जीने का अधिकार नहीं है के लिए संयुक्त रूप से दिवतीय स्थान मिला । दिल्ली की स्वाती यादव के साथ औरंगाबाद से शामिल श्रद्धा विजय परदेशी को व कोलकाता से जुड़ी अक्षरा अनुपमा को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला । जबकि राजकीय प्राथमिक विद्यालय वैशाली को उनकी विशिष्ट नाट्य प्रस्तुतियों, फ़ैन्सी ड्रेस और रिकार्ड नृत्य के लिए अलग से पुरस्कृत किया गया है ।

 

मुख्य कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात बाल साहित्यकार दिविक रमेश ने बाल रचना पाठ के इस सातवें आयोजन को सफल बताते हुए कहा कि देशभक्ति और आजादी पर लिखी गईं रचनाएँ राष्ट्र चरित्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं । अध्यक्षता करते हुए विख्यात बाल साहित्यकार रामेश्वर काम्बोज हिमांशु ने मलिन बस्तियों में कविता बनाओ कविता सिखाओ के तर्ज पर और ज्यादा काम करने के सुझाव दिये साथ ही  तुम क्यों आए जंगल में आए ”  शीर्षक से कविता पाठ कर पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त की । 

संयोजक अवधेश सिंह ने देश गान पढ़ा  भारत है घर आँगन अपना / ये राष्ट्र नहीं ये है सपना / यहाँ मिलजुल कर सब रहते हैं / सुख दुख मिलकर ही सहते हैं / कहीं कोई नहीं बटवारा है / भारत हृदय हमारा है / पृथ्वी में सबसे प्यारा है ॥ इस दौरान उपस्थित बाल रचनाओं की वरिष्ठ कवयित्री आरती स्मित ने “गूगल भैया” शीर्षक से कोरोना से आजादी दिलाने वाली कहानी पढ़ी , कवयित्री शशि किरण ने मोर्चे पर घर से दूर तैनात फौजी के बच्चे की अनुभूति को “मेरे पापा” शीर्षक से व्यक्त किया । 

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