राज्य सभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडु ने सफल शीतकालीन सत्र के लिए लोकतांत्रिक और संसदीय पद्धति का किया आह्वान
पिछले मानसून सत्र के दौरान घटी उच्छृंखल घटनाओं पर सभी संबंधितों द्वारा आत्मनिरीक्षण की कमी पर जताया दुख
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 नवंबर। राज्य सभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज सदन के सभी वर्गों से एक सफल शीतकालीन सत्र को सक्षम बनाने हेतु ‘लोकतांत्रिक और संसदीय पद्धति’ को सुनिश्चित करने का आह्वान किया और पिछले मानसून सत्र के दौरान उच्छृंखल घटनाओं पर आत्मनिरीक्षण करने में सभी संबंधितों की विफलता पर खेद व्यक्त किया और उनकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध रहने का आह्वान किया।
श्री नायडु ने आज शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन में अपनी समुक्तियों के दौरान यह बात कही। यह देखते हुए कि इस महीने की 26 तारीख को संविधान दिवस के उपलक्ष्य में सदन के कुछ सदस्य मौजूद नहीं थे, उन्होंने देश के शांतिपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन के लिए लोकतंत्र को चुनने वाले देश के लोगों का उल्लेख किया और कहा; “तदनुसार, संविधान ने संसद और राज्य विधान सभाओं के उत्तरवर्ती चुनावों में लोगों की इच्छा के आधार पर विकास हेतु बातचीत के रास्ते के लिए विधायिकाओं में संवाद और वाद-विवाद को निर्धारित किया।”
यह कहते हुए कि पिछले मानसून सत्र के दौरान कुछ सदस्यों के व्यवधान और उच्छृंखल आचरण ने सभी को परेशान किया, श्री नायडु ने सदस्यों से इससे सही सबक लेने का आग्रह किया क्योंकि सदन और देश के सभी वर्गों को मानसून सत्र के सही ढंग से न चलने के कारण हानि उठानी पड़ी थी।
पिछले चार वर्षों में उनकी अध्यक्षता में पिछले 11 सत्रों के दौरान देखे गए उतार-चढ़ाव का उल्लेख करते हुए, सभापति श्री नायडु ने सदस्यों से सदन में ‘लोकतांत्रिक और संसदीय पद्धति’ बनाये रखे जाने का आह्वान किया ताकि सभी मुद्दों को उठाया जा सके। उन्होंने कहा ; “यदि हम सदन में केवल हंगामे के बजाय उचित माहौल कायम रखते हैं तो आप में से हर कोई किसी भी मुद्दे को उचित तरीके से उठा सकता है और किसी भी मुद्दे पर अपनी बात स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकता है। सामूहिक इच्छा के साथ इस तरह की लोकतांत्रिक और संसदीय पद्धति के लिए निश्चित ही गुंजाइश है। मैं इस सत्र के दौरान उस भावना की अभिव्यक्ति की आशा करता हूं।”
सभापति श्री नायडु ने पिछले मानसून सत्र के समापन क्षणों के दौरान घटी विभिन्न घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि सदन के महत्वपूर्ण व्यक्तियों और सभी संबंधित लोगों की प्रतिक्रिया उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं थी। उस पर आत्मनिरीक्षण करने और उन्हें दोबारा नहीं होने देने के आश्वासन से उन्हें उन घटनाओं के खिलाफ शिकायत को उचित रूप से संभालने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस पर सभापति ने दुख व्यक्त किया।
श्री नायडु ने कहा; “सत्ता पक्ष, शोरगुल वाले पिछले सत्र के अंतिम दो दिनों के दौरान कुछ सदस्यों के आचरण की विस्तृत जांच चाहता था। मैंने विभिन्न दलों के नेताओं से बात करने की कोशिश की है। उनमें से कुछ ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनके सदस्य ऐसी किसी भी जांच में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, कुछ नेताओं ने सदन के कार्यकरण को ठप्प करने के तरीके पर चिंता व्यक्त की और उच्छृंखल घटनाओं की निंदा की। अपनी ओर से, मैं उम्मीद कर रहा था और इंतजार कर रहा था कि इस महती सभा के प्रमुख लोग, पिछले सत्र के दौरान जो हुआ था, उस पर अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आत्मनिरीक्षण और उत्साहपूर्ण प्रयास करने का आश्वासन देंगे। सभी संबंधितों द्वारा इस तरह के आश्वासन से मुझे मामले को उचित रूप से संभालने में मदद मिलती। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ”।
सभापति श्री नायडु ने सदन को सूचित किया कि राज्य सभा की आठ विभाग संबंधित संसदीय स्थायी समितियों ने 21 बैठकें की जिनकी कुल समयावधि 39 घंटे 33 मिनट रही तथा जिसमें प्रति बैठक 48.58 प्रतिशत की सराहनीय औसत उपस्थिति रही। परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी समिति ने 2 घंटे 48 मिनट की औसत अवधि और चार बैठकों में से प्रत्येक में 51.61% की उपस्थिति के साथ सर्वश्रेष्ठ कार्यनिष्पादन प्रदर्शित किया। वाणिज्य संबंधी समिति ने सबसे अधिक पांच बैठकें कीं जिनकी कुल समयावधि साढ़े आठ घंटे की रही ।
श्री नायडु ने सदन को सूचित किया कि शिक्षा संबंधी समिति ने अंतरसत्रावधि के दौरान ‘पाठ्यपुस्तकों की सामग्री और डिजाइन में सुधार’ के मुद्दे की जांच करते हुए हरियाणा के नौवीं कक्षा के छात्र की बात सुनी और उससे बातचीत की। उन्होंने कहा; “यह प्रभावी फीडबैक के लिए हितधारकों तक पहुंचने और इन समितियों द्वारा परीक्षा के लिए चुने गए विषयों पर ज्ञानपूर्ण रिपोर्टिंग के लिए एक अच्छा प्रमाण है। हितधारको से यह परामर्श संसद की सहायता के लिए इन समितियों को एक उच्च मंच प्रदान करता है।