समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ भारत के संघर्ष में सिख गुरुओं के योगदान को नमन करते हुए शनिवार को कहा कि उन्होंने (सिख गुरुओं ने) जिन खतरों से देश को आगाह किया था वे आज भी मौजूद हैं. लिहाजा देश की एकता पर आंच ना आए, एकजुटता बहुत अनिवार्य है. सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के समारोहों के तहत कच्छ स्थित गुरुद्वारा लखपत साहिब में आयोजित एक समारोह को वीडियो कांफ्रेंस से संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार का मंत्र ”एक भारत, श्रेष्ठ भारत” है और देश की समरसता को बनाए रखने का दायित्व सभी का है।
पीएम ने कहा, गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है. आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूं तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहब ने कैसे कैसे झंझावतों को देखा है. 2001 के भूकंप के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था. मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया।
पीएम मोदी ने कहा, गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए. दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया. गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित तो रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया।
पीएम मोदी ने कहा, अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं. गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है? कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं. इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है. यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला।
गौरव की बात रही है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख गुजरात के ही थे
प्रधानमंत्री ने कहा, ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रही है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे. देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंह का निर्माण हुआ है।