समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 जनवरी। ऐसी मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने और व्रत करने से जातक को संतान का वरदान प्राप्त होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के दोनों पक्षों, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन एकादशी के रूप में मनाई जाती है. पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है. पहली पौष के महीने में और दूसरी सावन माह में. पौष महीने में शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार इस बार पौष पुत्रदा एकादशी 14 जनवरी को शाम 4:49 बजे शुरू होगी और 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. हिन्दू धर्म में त्योहार उत्तरायण तिथि में मनाये जाते हैं. इसलिये 13 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी. 14 जनवरी 2022 को द्वादशी के दिन पारण करना होगा.
पुत्रदा एकादशी का महत्व
ऐसा माना जाता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने और व्रत रखने से पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है.इस व्रत को करने वाले जातकों पर भगवान विष्णु की असीम कृपा बनी रहती है और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. जो लोग साल में दो बार यह व्रत रखते हैं, उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है और उनकी संतान को सेहत का वरदान प्राप्त होता है.
पुत्रदा एकादशी पूजन विधि:
एकादशी के व्रत के नियम दशमी तिथि से ही लागू हो जाते हैं इसलिये दशमी के दिन भी प्याज लहसुन का सेवन ना करें. द्वादशी पर व्रत पारण करें. अगर एकादशी व्रत करना है तो दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लें. पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करने के बाद साफ कपडे धारण करें. इस दिन गंगा स्नान का नियम है. लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो आप नहाने के पानी में गंगा जल मिला लें. भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु की पंचोपचार विधि से पूजन करें, उन्हें धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, फूल माला और नैवेद्य अर्पित करें और व्रत का संकल्प लें.
पूजा के बाद पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और पूरे दिन का उपवास रखें. रात में फलाहार करें और द्वादशी के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और स्वयं भी करें.