*कुमार राकेश
न तू गिरा, न तेरी उम्मीदों के मीनार गिरे,
पर लोग तुझे गिराने में कई बार गिरे,
सवाल जहर का नही था, जो तू पी गया,
तकलीफ लोगों को तब हुई, जब तू जी गया…
जी हाँ, ये पंक्तियाँ अपने वैश्विक नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की ज़िन्दगी के कई पन्नो को खोलने में मदद करती है.श्री मोदी का जीवन संघर्षो का खुला इतिहास है.
जरा सोचिये,विश्व के सर्वप्रिय नेता वभारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी के दर्द भरे वो बोल- जिसमे उन्होंने कहा था-अपने CM को धन्यवाद कहना, कि मैं बठिंडा हवाई अड्डे तक जिंदा लौट आया,5 जनवरी को पंजाब में सुरक्षा में भारी चूक के बाद बोले थे-प्रधानमंत्री मोदी.इससे पूरा देश सकते में हैं.देश में आतंक व दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है.देश विदेश में भी काफी चिंता-चर्चा व दुःख का माहौल है.वही कांग्रेस पार्टी के खिलाफ देश और विदेशो में भारी रोष देखा जा रहा है.
वही पंजाब के ईसाई सरदार मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं दिखते.सारे तथ्य उनके खिलाफ हैं.फिर भी बेशर्म की भांति स्वयं को महान बताते नहीं थक रहे है.कोई कुछ भी कहे,5 जनवरी के सभी घटनाक्रम देश के सामने हैं .
दूसरी तरफ सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों की माने तो 5 जनवरी 2022 को यदि प्रधानमंत्री का काफिला बठिंडा से फिरोजपुर रास्ते पर रुके फ्लाईओवर से एक किलोमीटर आगे चला जाता तो कुछ भी हो सकता था.चन्नी ,सिध्हू के साथ अन्य कांग्रेस नेताओ को शायद स्मृति लोप की बीमारी हो गयी है ,इसलिए वे सब 21 मई 1991 का वो काला दिन को भूल गए हैं.उस दिन इस देश ने कुछ ऐसी ही तर्ज़ पर एक ऊर्जावान प्रधानमंत्री व नेता राजीव गाँधी को खोया था.वो भी तमिलनाडु के पेरुम्बुदुर में.वहां भी सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक की थी,5 जनवरी 22को कुछ वैसा ही हुआ.
सूत्रों का कहना है राजीव गाँधी के उस अंतिम यात्रा में उनकी पत्नी सोनिया गाँधी उनके साथ नहीं थी.जबकि उसके अलावा हर यात्रा में वो उनके साथ होती थी.इसे महज़ संयोग कहा जाये या और कुछ! बताते हैं कुछ 181 यात्राओ में साथ थी,सिर्फ उसी यात्रा को छोड़कर.वो कहानी आज भी रहस्य है.
तब की स्थिति अलग थी,आज की स्थिति बिलकुल अलग है.वो एक साजिश थी तो 5 जनवरी की घटना को महासाज़िश कही जा सकती है.इसी तर्ज़ पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के साथ क्या हुआ था? उसके पहले लालबहादुर शास्त्री भी महासाज़िश के शिकार हुए थे.पंजाब के ही मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के साथ भी कुछ वैसा ही हुआ था.इसी क्रम में जाँच के दौरान 7 जनवरी 22 को फिरोजपुर के पास सतलुज नदी में एक पाकिस्तानी नाव भी मिला है.जिसकी उच्च स्तरीय जांच जारी है.गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के काफिले के रुकाव स्थल के पास ही वो नाव वाली जगह है.
सच कहे तो,प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी पर शायद महाकाल,बाबा विश्वनाथ और माता की असीम कृपा रही कि समय रहते वो गन्तव्य जाने से पहले वापस लौटना मुनासिब समझा,नहीं तो …..
ये सब उस पंजाब की धरती पर हुआ,जिसका देश की स्वाधीनता से पहले से लेकर आजतक एक विशेष योगदान रहा है.ये साज़िश पंजाब व पंजाबियत सम्मान के खिलाफ तो था ही ,भारत व विश्व के अति लोकप्रिय नेता नरेन्द्र मोदी की हत्या की एक सुनियोजित साज़िश भी बतायी जा रही है.
याद कीजिये,वो 23 से 26 फ़रवरी 2020 तक का वो भयावह मंज़र,जब भारत में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत में अतिथि थे,तो क्या हुआ था.दिल्ली में अमानवीय व दुर्दांत दंगे कराये गए थे.जिसके लिए आम आदमी पार्टी का विधायक ताहिर हुसैन और 26 जनवरी 2021 को किसान आन्दोलन के नाम पर लाल किला पर तिरंगा हटाकर खालिस्तान का झंडा फहराने की असफल कोशिश की गयी थी.यदि मोदी सरकार, इंदिरा गाँधी सरकार की तरह क्रूर व निर्दयी स्टाइल में काम करती तो क्या होता.हजारो लाशें दिल्ली की सडको पर बिछ जाती,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.ये उदहारण प्रधानमंत्री श्री मोदी का अहिंसक गांधीवादी शैली का शासन हैं.ऐसा ही कुछ एसपीजी वाले फिरोजपुर रास्ते में कर सकते थे,लेकिन नहीं किया गया.उसके कई कारण हैं ..
पंजाब के इस घटना को लेकर हर तरह से जिम्मेवार कांग्रेस ओछी राजनीति पर उतर आई है.स्मृति लोप के शिकार कांग्रेस नेता सीएम चन्नी,प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू जैसे कई नेता इसे पीएम् मोदी का राजनीतिक ड्रामा बता रहे हैं.एक बेशर्म नेता की तरह चन्नी कह रहे है पीएम् मोदी को खरोच तक नहीं लगी,फिर भी हंगामा क्यों? तो क्या चन्नी साहेब आप चाहते क्या थे? आपने तो पीएम् मोदी जी और उनकी रैली के खिलाफ पूरी व्यवस्था तो बनवा ही रखी थी.इसी क्रम मे कई वायरल वीडियोज ने तो चन्नी के चुनावी रैली में कम उपस्थिति जैसे तथाकथित दावों की पोल खोलकर रख दी हैं.
सूत्रों का दावा है कि खालिस्तानी समर्थक व भारत के दुश्मनों ने प्रधानमन्त्री मोदी की हत्या की साजिश की रूपरेखा तैयार की थी.इस बात को लेकर भी YouTube पर एक एक साल पहले का एक साजिशी वीडियो वायरल हुआ है. एक बहुत बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश कही जा रही हैं,जिसमे कांग्रेस नेता व मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के साथ उनके सभी वरिष्ठ अफसरों की फौज भी अपनी अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री का एक कानूनन निश्चित प्रोटोकॉल होता है.जिसका पंजाब सरकार और कांग्रेस नेताओ ने अपने राजनीतिक विद्वेष के चलते पूरी तरह पालन नहीं किया.उसके लिए एक ब्लू बुक भी होता है.फिर भी पंजाब के नेता और अफसर झूठ बोलने से नहीं बच रहे हैं .
ऐसा लगता है कि 2014 से लगातार हार का मुंह देखने वाली कांग्रेस अपना अस्तित्व भूलकर धीरे धीरे रसातल में जाती दिख रही हैं;कांग्रेस स्वयं को तो मजबूत नहीं कर रही,उलटे कांग्रेस बदले की भावना से सियासत करने लग गयी है.ये एक बड़ा सवाल है कि देश की सुरक्षा पर सियासत क्यों ? इससे क्या मिल जायेगा? सत्ता? कभी नहीं मिलेगी.अब तो और नहीं.भारत जाग चुका है.हर भारतवासी जाग चुका है.अब और नहीं.जी हाँ,अब और कांग्रेस नहीं.जो राष्ट्र हित की बात करेगा,कार्य करेगा,वही देश पर राज़ करेगा.
शायद इसलिए उसी दुर्भावना के तहत पंजाब में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी को 5 जनवरी को जान से मारने की खूनी साज़िश रची गयी थी.इससे प्रदेश में कांग्रेस सरकार की लुंज पुंज व्यवस्था अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती.इस पूरे पंजाब प्रकरण की ईमानदार भाव से कोई भी सजग नागरिक समीक्षा करे तो उसी यही लगेगा कि ये पंजाब सरकार और उसके लोगो ने सोच समझ कर प्रधानमंत्री मोदी को जान से मारने की खूनी साज़िश रची थी.
अब ये मामला एक उच्चस्तरीय विशेष मोड पर चला गया हैं.6 जनवरी को प्रधानमन्त्री श्री मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर बठिंडा घटना से अवगत कराया.बाद में राष्ट्रपति ने उस घटना पर चिंता ज़ाहिर की.उच्चतम न्यायालय ने भी इस मामले की गंभीरता के मद्देनज़र संज्ञान लिया हैं .न्यायालय ने 11 जनवरी तक सभी एजेंसियों को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है.इसलिए 7 जनवरी को केन्द्रीय गृह मंत्रालय की जांच टीम पंजाब गयी थी.पंजाब सरकार ने 150 अज्ञात लोगो के खिलाफ धारा 283 के तहत मामला दर्ज किया है ,जो एक हास्यास्पद प्रतीत होता है.
तमाम प्रकरणों के मद्देनज़र ऐसा लगता है कि बात निकली है तो बहुत दूर तलक जाएगी.5 जनवरी 2022 अब भारतीय इतिहास में काला दिवस के तौर पर ही जाना जायेगा.
*कुमार राकेश